Delhi High Court : दिल्ली उच्च न्यायालय ने टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (TTFI) के मामलों को देखने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court)के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता में प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। जब तक केंद्र अथवा राज्य सरकार की ओर से स्वतंत्र समिति की ओर से गहन जांच नहीं की जाती। तब तक न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल-न्यायाधीश पीठ ने (COA) को महासंघ के मामलों को चलाने के लिए नियुक्त किया है।
Delhi High Court: समिति को उचित निर्देश जारी करने की शक्ति
इस समिति में अधयक्ष न्यायमूर्ति गीता मित्तल के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन मित्तल और पूर्व एथलीट जीडी मुद्गल सदस्य होंगे। समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मित्तल तीन लाख रुपये मासिक मानदेय के हकदार होंगे, जबकि दोनों सदस्य एक-एक लाख रुपये के हकदार होंगे।
प्रशासकों की समिति को अध्यक्ष के हस्ताक्षर के तहत सभी उचित निर्देश जारी करने की शक्ति होगी। प्रशासकों की समिति प्रतिवादी संख्या 1 के मौजूदा कार्यालय का उपयोग करने की भी हकदार होगी।पीठ ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) विक्रमजीत सेन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय अदालत द्वारा नियुक्त समिति की एक रिपोर्ट पर गौर करने के बाद ये निर्देश जारी किए।
Delhi High Court: टेनिस स्टार मनिका बत्रा ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
टेबल टेनिस स्टार मनिका बत्रा की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद समिति का गठन किया। उन्होंने आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय ने उन्हें टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के लिए एक मैच फिक्स करने के लिए विवश किया।
कोच ने अपनी निजी अकादमी में व्यक्तिगत कोचिंग से गुजरने वाले खिलाड़ी को सक्षम करने के लिए पूरा षडयंत्र रचा। मनिका बत्रा का कहना है कि इस मामले की शिकायत महासंघ से करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्हें एशियाई चैंपियनशिप के लिए राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया। आरोप लगाया गया कि उन पर शिकायत और याचिका वापस लेने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
अदालत बोली राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन
अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति सेन की समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में बहुत ही खेदजनक स्थिति का पता चला है। जिस तरह से महासंघ काम कर रहा था, उसमें खिलाड़ियों का कल्याण नहीं था। न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा कि जिस तरह से बत्रा की शिकायत का निपटारा किया गया था। उससे पता चलता है कि महासंघ और उसके पदाधिकारी, राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन कर रहे थे।
निजी अकादमी चलाने पर उठाया सवाल
कोर्ट ने रॉय पर राष्ट्रीय कोच रहते हुए एक निजी अकादमी चलाने पर भी सवाल उठाया। कोर्ट का कहना था कि यह आदेश सरकार और अन्य सभी खेल संघों के लिए एक जागृत कॉल के रूप में कार्य करेगा। इस तरह के एक संघ द्वारा एक राष्ट्रीय कोच के रूप में नियुक्त व्यक्ति को एक साथ अपनी निजी अकादमी चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
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