उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों के बीच बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला एक बार फिर चर्चा में है। इस बार यह चर्चा शुरू हुई है देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस मामले में अलग–अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक ही अदालत में की जानी चाहिए।
हाजी महमूद और सीबीआई की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन ने आज कहा कि इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया को गति देने के लिए सभी आरोपियों के खिलाफ संयुक्त सुनवाई की जा सकती है। गौरतलब है कि इस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी,उमा भारती,मुरली मनोहर जोशी जैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं समेत अन्य नेताओं को इसमें फिर से आरोपी बनाने की मांग की गई थी। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का मामला हटा लिया था।
सुप्रीम कोर्ट अगर सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के मामले को बहाल कर देता है तो इनकी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती है। सीबीआई के इस याचिका के जवाब में इन लोगों की दलील है कि 2010 में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने 9 महीने की देरी से अपील की थी। देरी के आधार पर इस मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिए। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी। इस सुनवाई में इन आरोपियों के साथ सीबीआई की दलीलों पर फैसला दिया जा सकता है।