क्या है Sprirulina Farming? जिससे किसानों की बढ़ रही है आमदनी…

स्पिरुलिना खाने में जितना स्वास्थ्यवर्धक है, उतना ही ये किसान की जेब के लिए भी फ़ायदेमंद है। क्योंकि इससे ज़बरदस्त कमाई होती है।

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Sprirulina Farming
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Sprirulina Farming: आज के दौर में जैसा खान पान हम खा रहे है, वो एक स्वस्थ इंसान के लिए पर्याप्त नहीं है । कहने का मतलब ये है कि, जिस तरह का भोजन हम खा रहे हैं उसमें पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं होते। यही कारण है कि, लोग अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहते हैं। ख़ासकर प्रोटीन की कमी से आज दुनिया की आधी से अधिक आबादी जूझ रही है। प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते रहते हैं।

बहुत से लोग प्रोटीन को सप्लिमेंट के रूप में भी लेते हैं। जिसकी वजह से कुछ वक़्त के लिए शरीर देखने में तो शायद ठीक लगता है लेकिन ये सप्लिमेंट्स मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। जबकि प्रकृति में बहुत सी चीज़ें मौजूद हैं जो पोषक तत्वों से भरपूर हैं। लेकिन, लोग उनके बारे में जानते ही नहीं है। उन्ही में से एक है, स्पिरुलिना (Spirulina)।

Sprirulina Farming
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Sprirulina Farming: इसमें कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं

आपने शैवाल, काई या एल्गी ये सब तो सुना ही होगा। इसी की एक प्रजाति है स्पिरुलिना। ये एक जलीय वनस्पति है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है। स्पिरुलिना में कई तरह के विटामिनस, खनिज और पोषक तत्व मौजूद होते हैं। ख़ास तौर से ये प्रोटीन से भरपूर होता है । इसमें 70 से 80% तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा इसमें पोटेशियम, कैल्सीयम, और ज़िंक भी पाया जाता है। स्पिरुलिना में किसी भी खाद्य पदार्थ से ज़्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं इसलिए, WHO द्वारा इसे सुपरफ़ूड की श्रेणी में रखा गया है। इसे भोजन के साथ-साथ प्रकृतिक सप्लिमेंट के रूप में भी खाया जाता है।

किसानों के लिए फायदेमंद

स्पिरुलिना खाने में जितना स्वास्थ्यवर्धक है, उतना ही ये किसान की जेब के लिए भी फ़ायदेमंद है। क्योंकि इससे ज़बरदस्त कमाई होती है। कुछ वर्ष पहले तक स्पिरुलिना खारे पानी के स्रोतों, तालाबों और झरनों के आसपास अपने आप ही उग जाती थी। लेकिन आज किसान इसे उगाते भी हैं और इसका पाउडर या टैब्लेट बनाकर बेचते भी हैं।
स्पिरुलिना की ख़ासियत ये है कि, आप इसे जितना चाहें उतना उगा सकते हैं। आप अपने खाने के लिए उगाना चाहते हैं तो, इसे टब या बाल्टी में लगा सकते है। जबकि किसान इसे 100 मीटर से लेकर कई कई एकड़ क्षेत्र में लगा सकते हैं।

Sprirulina Farming
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स्पिरुलिना उगाने के लिए उपयुक्त जलवायु व तापमान

यदि आप भी स्पिरुलिना लगाना चाहते है तो, ध्यान रखें कि इसके लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु, जहाँ तापमान 22 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड हो सबसे अच्छा रहता है ।

पानी की गुणवत्ता

इसके लिए पानी का P.H. लेवल 9 से 11 के मध्य होना चाहिए| अगर PH लेवल 9 से कम है तो पानी में सोडियम क्लोराइड, खाने का सोड़ा और नमक मिला कर इसे ठीक कर लें ।

Sprirulina Farming
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टैंक का आकार

स्पिरुलिना लगाने के लिए आप अपनी सुविधा के अनुसार टैंक लम्बाई व चौड़ाई अपने हिसाब से रख सकते हैं लेकिन गहराई 1.5 से 2 फ़ीट ही रखें । ये टैंक आप कच्चे या पक्के अपनी सुविधा के अनुसार बना सकते हैं। कच्चे टैंक में प्लास्टिक बिछाकर उसमे थोड़ी मिटटी व गोबर फैला दें। पक्के टैंक में आपको प्लास्टिक बिछाने की आवश्यकता नहीं है।

स्पिरुलिना लगाने की विधि

स्पिरुलिना का उत्पादन motherculture या बीज के द्वारा किया जाता है| इसकी मात्रा कितनी हो और खाद कितने डालने हैं । ये किसी विशेषज्ञ से पता कर लें। वैसे स्पिरुलिना स्‍टार्टर कि‍ट को किसी भी ऑर्गेनिक स्टोर से खरीद सकते हैं| इस किट में मदरकल्चर यानी इसे उगाने वाला घोल होता है| इस घोल को एक महीन कपड़े में बाँध कर पानी में फैला दें। इसके बाद पानी में वाइपर चलाकर मदरकल्चर को पूरे टैंक में अच्छी तरह फैला दें। पानी में से हवा पास होती रहनी चाहिए इसलिए दिन में कम से कम दो-तीन बार पानी को वाइपर की सहायता से हिला दें। 10 से 12 दिन में इसकी पहली फ़सल तैयार हो जाएगी ।

Sprirulina Farming
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Spirulina Harvesting

हरे पानी को मग में भरकर आटा छानने वाली छन्नी से छाने इसके नीचे एक कपड़ा रखें। इसमें से पानी को निकालने दे और छाया में सुखा लें । आप चाहे तो इसका पाउडर बना सकते हैं या साँचे की मदद से इसकी टैब्लेट बना लें ।

आमदनी

बाज़ार में स्पिरुलिना पाउडर की कीमत तक़रीबन 600 रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है। जबकि एक सक्वायर मीटर से 6 से 8 ग्राम स्पिरुलिना प्रतिदिन प्राप्त होता है । अगर आप एक एकड़ में स्पिरुलिना की खेती करते हैं तो जिससे आप प्रति माह 40 से 45 हज़ार रूपए तक की कमाई कर सकते हैं ।

Sprirulina Farming
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स्पिरुलिना ट्रेनिंग सेंटर

ये बेहद ज़रूरी है की जब भी आप कोई काम करें तो उससे पहले उस काम की ट्रेनिंग ज़रूर लें। वरना फ़सल ख़राब हो सकती है। इसकी ट्रेनिंग आप यहां से ले सकते हैं।
1.उरुनइस्लामपुर, महाराष्ट्र,
2.चावड़ी स्पिरुलिना ट्रेनिंग सेंटर अहमदनगर,
3.येराबोडा, उप्परपल्ली, हैदराबाद,
4.नल्लयन सतत विकास अनुसंधान केंद्र, नवलोर, कांचीपुरम, तमिलनाडु
5.स्पिरुलिना एंटरप्रेन्योर रिसर्च सेंटर, डोन, कुरनूल , आंध्र प्रदेश
6.स्पिरुलिना प्रोडक्शन, रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, कोंडायमपट्टी, मदुरै
7.IARI, नई दिल्ली-110012

इसके अलावा यदि कोई आपके आसपास स्पिरुलिना की खेती करता है तो आप उससे भी इसकी ट्रेनिंग ले सकते हैं और अपनी आमदनी में चार चाँद लगा सकते हैं। एपीएन न्यूज़ के साथ अंजू शर्मा की रिपोर्ट।

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