PARENTING TIPS: बच्चों पर चिल्लाना पड़ सकता है भारी, जानें कैसे प्रभावित होती है उनकी सेहत 

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PARENTING TIPS: बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बात-बात पर बच्चों पर चिल्लाना उनके दिमाग और सेहत पर गहरा असर डाल सकता है। बच्चों की परवरिश में माता-पिता की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। हम अपने बच्चों के पहले सुपरहीरो और आदर्श होते हैं, इसलिए आपका हर कदम उनके विकास पर गहरा प्रभाव डालता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बच्चों पर चिल्लाना उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है? आइए जानते हैं कि बच्चों पर चिल्लाने से उन्हें क्या नुकसान हो सकता है और इससे बचने के क्या तरीके हो सकते हैं। 

बच्चों के दिमाग पर पड़ता है गहरा असर 

जब माता-पिता बच्चों पर चिल्लाते हैं, तो वे यह सोचते हैं कि इससे बच्चे सुधर जाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि इससे बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है। चिल्लाने से बच्चे तनाव में आ जाते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास धीरे-धीरे कम हो सकता है। लगातार चिल्लाने से बच्चे डरे और सहमे रहते हैं और उनकी मानसिक सेहत पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। कई बार बच्चे अंदर ही अंदर यह सोचने लगते हैं कि वे किसी लायक नहीं हैं, जिससे उनका मानसिक विकास प्रभावित होता है। 

तर्क-वितर्क की क्षमता हो सकती है कमजोर 

अध्ययन बताते हैं कि बच्चों पर चिल्लाने से उनके ‘प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स’ का विकास रुक जाता है। यह वह हिस्सा होता है जो तर्क-वितर्क और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करता है। अगर इस हिस्से का विकास सही तरीके से नहीं होता, तो बच्चे की निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है। वे छोटी-छोटी बातों में उलझने लगते हैं और सही-गलत का फर्क समझने में मुश्किल महसूस करते हैं। 

शारीरिक सेहत पर भी पड़ता है असर 

चिल्लाने का असर केवल मानसिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक सेहत पर भी पड़ता है। लगातार तनाव में रहने से बच्चों में सिरदर्द, पीठ दर्द, गर्दन में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ शोध यह भी बताते हैं कि इस तरह का तनाव गठिया जैसी बीमारियों को भी जन्म दे सकता है। बच्चों की शारीरिक सेहत का सीधा संबंध उनके मानसिक स्वास्थ्य से होता है, इसलिए उन्हें तनावमुक्त रखना बहुत जरूरी है। 

PARENTING TIPS: बच्चों पर चिल्लाने से बचने के लिए क्या करें?

  • बच्चों की गलतियों पर उन्हें शांतिपूर्वक समझाएं। उन्हें प्यार और धैर्य के साथ समझाने से वे ज्यादा समझ पाएंगे और गलती सुधारने की कोशिश करेंगे। 
  • बच्चों को अपनी इच्छाएं और विचार व्यक्त करने का मौका दें। उनकी बातों का सम्मान करें और उन्हें खुद निर्णय लेने का मौका दें। 
  • बच्चों की भावनाओं और परेशानियों को समझें। उनके साथ संवेदनशील और समझदार बनें, ताकि वे अपने डर और चिंता को आपके साथ साझा कर सकें। 
  • बच्चों से खुलकर और ईमानदारी से बात करें। संवाद के दौरान सुनने की कोशिश करें और उनकी बातों को गंभीरता से लें। 
  • बच्चों की समस्याओं और भावनाओं पर समय से ध्यान दें। यदि किसी भी समस्या का समाधान समय पर किया जाए, तो चिल्लाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। 
  • घर में एक शांत और सकारात्मक माहौल बनाए रखें। इससे बच्चे तनावमुक्त रहेंगे और बेहतर तरीके से सीखेंगे। 
  • बच्चों को अच्छा व्यवहार सिखाने के लिए खुद भी अच्छा व्यवहार अपनाएं। अपने गुस्से को नियंत्रित करें और शांत रहने की कोशिश करें। 
  • इन सुझावों को अपनाकर आप अपने बच्चों की परवरिश को सकारात्मक और स्वस्थ बना सकते हैं। 

PARENTING TIPS: बच्चों पर चिल्लाना उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, प्यार, धैर्य और सम्मान के साथ बच्चों की परवरिश करें। इससे न केवल उनका विकास होगा, बल्कि आप दोनों के बीच एक मजबूत और पॉजिटिव बॉन्ड भी कायम होगा। 

Disclaimer : इस लेख में बताई गई जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य वित्तीय, चिकित्सा, स्वास्थ्य, पोषण या अन्य सलाह नहीं है। आपको अपनी व्यक्तिगत परिस्थितियों के संबंध में किसी वित्तीय सलाहकार, या चिकित्सा या स्वास्थ्य व्यवसायी से पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।