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कैंसर रिसर्च यूके द्द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) वैक्सीन, महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) के रिस्क को कम करता है। 14 से 16 वर्ष की आयु की महिलाओं में कैंसर के जोखिम को 62 प्रतिशत तक कम कर देता है।
शोध रिपोर्ट इस सप्ताह लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुआ। यह टीका 2000 में शुरू किया गया था। अध्ययन से पता चलता है कि सर्वाइकल कैंसर के रिस्क को एचपीवी टीका कम कर देता है। शोध में यह बात सामने आई है कि 11 वर्षों की अवधि में (2006 से) इस टीके ने लगभग 450 सर्वाइकल कैंसर और लगभग 17,200 प्री कैंसरस कंडीशन को विकसित होने से रोका। इसके प्रभाव को देखते हुए इंग्लैंड ने 2018 में 12-13 वर्ष की आयु के लड़कों के लिए टीके को बढ़ाया।
एचपीवी क्या है?
HPV एक प्रकार का वायरस है, जिसके 100 से अधिक प्रकार होते हैं। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) ने नोट किया है कि 40 से अधिक प्रकार के एचपीवी सीधे यौन संपर्क के माध्यम से फैलते हैं। लगभग एक दर्जन एचपीवी गर्भाशय ग्रीवा, गुदा, ऑरोफरीन्जियल, पेनाइल, वुल्वर और योनि सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण बनते हैं। गौरतलब है कि लगभग सभी सर्वाइकल कैंसर एचपीवी के कारण होते हैं और वैक्सीन कैंसर पैदा करने वाले दो स्ट्रेन से रक्षा करता है, वो हैं एचपीवी 16 और 18। संक्रमित होने के बाद अधिकांश लोगों में यह कोई लक्षण विकसित नहीं करता, जिससे उन्हें पता ही नहीं चलता कि उन्हें वायरस है। कभी- कभी लक्षण सामने आने में वर्षों लग सकते हैं।
एचपीवी के टीके कितने प्रकार के होते हैं और किसे लगवाना चाहिए?
गार्डासिल सहित विभिन्न प्रकार के एचपीवी टीके हैं, जो चार प्रकार के एचपीवी (एचपीवी 16, 18, 6 और 11) से बचाता है। दूसरी तरह का टीका सरवारिक्स है, जो केवल एचपीवी 16 और 18 से बचाता है। तीसरा वैक्सीन है गार्डासिल 9, जो एचपीवी के नौ वैरिएंट्स से बचाता है।
ये टीके उन महिलाओं और लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाते हैं, जो अभी तक वायरस के संपर्क में नहीं आई हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने सिफारिश की है कि यह टीका 11 से 12 साल की उम्र के लड़कों और लड़कियों को दिया जाए। व्यक्ति यौन संपर्क से पहले टीका लगाया जाना चाहिए, जबकि किशोरों 15-26 वर्ष के बीच लगाया जा सकता है।
भारत में अधिक आते हैं सर्वाइकल कैंसर के मामले
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कमेटी ऑन इम्यूनाइजेशन (आईएपीसीओआई) ने सिफारिश की है कि एचपीवी टीकों की दो-खुराक 14 साल से कम उम्र की लड़कियों को दिया जाना चाहिए। 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए टीका तीन-खुराक में दिया जाना चाहिए।
एशियन पैसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन में प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि भारत में एचपीवी टीकाकरण में प्राथमिक बाधा वित्तीय है। वहीं वैश्विक स्तर पर कुल सर्वाइकल कैंसर के 27 फीसदी मामले यहीं आते हैं। इसके अलावा, भारत में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 77 प्रतिशत मामले एचपीवी 16 और 18 के कारण होते हैं।
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