Year Ender 2022: इस साल देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट कई मामलों पर ऐसे फैसले सुनाए, जिसने एक नया इतिहास रच दिया। ये वो फैसले है जिस पर कोर्ट के फैसले ने सभी को हैरान कर दिया और सोचने पर मजबूर कर दिया। देश के कई बड़े केस का फैसला साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने किया। इन निर्णयों में राजीव गांधी हत्याकांड केस, हेट स्पीच का मामला, गुजरात दंगे से लेकर गोधरा कांड तक सभी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों में ऐसे ऐतिहासिक फैसले दिए जो पत्थर की लकीर साबित होते हैं। आइए बताते हैं आपको सुप्रीम कोर्ट के 10 बड़े केस में आए फैसले जो बने ऐतिहासिक…
Year Ender 2022: सर्वोच्च न्यायालय के 10 बड़े फैसले
1- राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई
11 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दे दिया। इस फैसले के बाद एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया वहीं, रिहा हुए दोषियों ने कोर्ट का आभार जताया। कोर्ट में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला देते हुए, कहा कि मामले के दोषियों में से एक आरोपी ए.जी. पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला इन दोनों आरोपियों पर भी लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी नलिनी, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस, श्रीहरन और रविचंद्रन को जेल से रिहा करने का आदेश दिया था।
2- गुजरात दंगे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने PM मोदी को दी क्लीन चिट
साल 2002 में हुए गुजरात दंगे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज करते हुए इस फैसले को बरकरार रखा जिसमें एसआईटी द्वारा क्लीन चिट दिए जाने पर कोर्ट ने मुहर लगाई थी। यह याचिका अदालत में गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दायर की थी। हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से मना करते हुए पीएम मोदी को मामले में क्लीन चिट वाले फैसले को जारी रखा।
3- राडिया टेप केस में फंसे दोषियों को कोर्ट ने दी राहत
गौरतलब है कि 12 साल पुराने टेप केस में फंसी लॉबिस्ट नीरा राडिया और अन्य को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सीबीआई ने कोर्ट में खुद इसकी जानकारी दी कि टेप में हुई बातचीत में कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आई है। सीबीआई ने इस मामले में नीरा राडिया को क्लीन चिट दे दी और जांच बंद कर दी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नीरा राडिया समेत अन्य लोगों को मामले में क्लीन चिट दे दी है।
4- EWS आरक्षण जारी रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 7 नवंबर को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को वैध माना है और इसे जारी रखने पर सहमति जताई है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार का आरक्षण देने का फैसला संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। ये फैसला जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया था।
5- देश में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भपात का अधिकार
महिलाओं के हित में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में निर्णायक फैसला सुनाया। कोर्ट की ओर से कहा गया कि अविवाहित महिलाओं को भी MTP एक्ट के तहत गर्भपात का अधिकार है। देश में गर्भपात के कानून में विवाहित और अविवाहित महिलाओं में किसी तरह का भेदभाव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी MTP संशोधन अधिनियम, 2021 के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए यह फैसला सुनाया कि अब विवाहित महिला की तरह ही एकल महिला और अविवाहित महिला 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को गर्भपात करने का अधिकार रखती है।
6- गोधरा कांड के दोषी को कोर्ट से मिली राहत
15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन कांड में बड़ा फैसला सुनाया। वर्ष 2002 में गोधरा में ट्रेन कोच जलाने के मामले में सजा काट रहे फारूक को कोर्ट ने जमानत दे दी है। फारूक ने जेल में करीब 17 वर्षों तक सजा काटी है। शीर्ष न्यायालय ने फारूक के वकील की सारी दलीले सुनी और फारूक को जमानत देने का आदेश दिया। बता दें कि फारूक पर आरोप है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था। 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा दी थी। जिसमें करीब 59 यात्रियों की मौत हो गई थी।
7- मैरिटल रेप की शिकार पत्नी करा सकती है गर्भपात
सुप्रीम कोर्ट 29 सितंबर 2022 को औरतों के हक में फैसला देते हुए कहा कि पति द्वारा दुष्कर्म यानी वैवाहिक रेप की स्थिति में गर्भपात करा सकती है। यह अधिकार महिलाओं के लिए राहतकारी साबित होगा, जो अनचाहे गर्भ को जारी रखने को विवश हैं। बता दें कि जब एक पुरुष अपनी पत्नी की सहमति के बिना जबरन संबंध बनाता है तो इस वैवाहिक दुष्कर्म कहा जाता है। इसके लिए पति किसी तरह के बल का प्रयोग करता है, तो ये गलत है।
8- बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त को गुजरात दंगों के बिल्किस बानो केस के आरोपियों को रिहा कर दिया। सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के 11 दोषियों को समय से पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया। इस फैसले के विरोध में कई याचिका फिर से दाखिल की गई। हालांकि, उच्च न्यायलय ने इस याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया।
9- मां को होगा बच्चे के उपनाम को रखने का अधिकार
देश की सर्वोच्च अदालत ने पुनर्विवाह करने वाली महिलाओं के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने कहा कि बच्चे कि एकमात्र प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते मां को अपने बच्चे का उपनाम तय करने का पूरा अधिकार होगा। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने सुनाया है।
इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि अपने पहले पति की मृत्यु के बाद अगर महिला दूसरी शादी करती है तो पहले पति से पैदा हुई संतान को नए परिवार में शामिल करने से रोका नहीं जा सकता है। बच्चे की एकमात्र अभिभावक होने के नाते मां को उसके परिवार और उपनाम तय करने का अधिकार है।
10- छावला रेप केस के दोषियों की रिहाई
सर्वोच्च न्यायालय ने 7 नवंबर को दिल्ली के चर्चित छावला दुष्कर्म और हत्याकांड के 3 आरोपियों को बरी करते हुए इनकी रिहाई के आदेश दिए हैं। बता दें कि साल 2012 में दुष्कर्म और हत्या के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत ने तीनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।
आरोपी राहुल, रवि और विनोद पर 9 फरवरी 2012 को ऑफिस से लौट रही लड़की का अपहरण कर उसके साथ रेप का आरोप है। 14 फरवरी को हरियाणा के रेवाड़ी के पास से लड़की की लाश मिली थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषियों को मौत की सजा दी थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश यूयू ललित, न्यायामूर्ति रविंद्र भट्ट और न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने बदल दिया।
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