उत्तर प्रदेश विधानसभा ने संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिए यूपीकोका (UPCOCA) यानि उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट को गुरुवार (21 दिंसबर) को पास कर दिया। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार इस कानून के जरिए अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जबरन मकान और जमीन पर कब्ज़ा, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, तस्करी और धमकी जैसे अपराधों पर नकेल कसना चाहती है।
इस बिल का विपक्ष और कई सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि इस कानून के जरिए सरकार विपक्षी दलों और कुछ खास वर्गों के लोगों को निशाना बनाएगी। सदन में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने इन तमाम आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि हमारा मकसद अपराधियों को दंडित करना है ना की किसी से बदला लेना। यूपी विधानसभा में 20 दिसंबर को इस बिल को पेश किया गया था।
यूपीकोका (UPCOCA) में क्या प्रावधान हैं ?
- कोई भी व्यक्ति जो संगठित अपराध करेगा या उसका हिस्सा होगा उस पर यूपीकोका लगेगा।
- यूपीकोका में किसी व्यक्ति के खिलाफ मामला तभी दर्ज होगा जब उसने कम से कम दो संगठित अपराध किए हों और उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो।
- यूपीकोका में अगर किसी की गिरफ्तारी होती है तो उसे 6 महीने तक जमानत नहीं मिलेगी।
- यूपीकोका में गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसी को आरोपी के खिलाफ 180 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी, लेकिन अभी 60 से 90 दिन का वक्त ही मिलता है।
- यूपीकोका में रिमांड की अवधी भी ज़्यादा है पुलिस आरोपी को 30 दिन के लिए रिमांड पर ले सकती है, जबकि बाकी कानूनों में सिर्फ 15 दिन की रिमांड का प्रवाधान है।
- यूपीकोका में सज़ा के कड़े प्रावधान हैं, कम से कम 5 साल की सज़ा होगी और अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान है।
- इस कानून के तहत जो केस दर्ज होंगे राज्य स्तर पर उनकी मॉनिटरिंग गृह सचिव करेंगे।
- मंडल स्तर पर आईजी रैंक के अधिकारी की संस्तुति के बाद ही कोई भी केस दर्ज किया जाएगा।
- ज़िला स्तर पर अगर कोई संगठित अपराध करने वाले हैं तो उसकी रिपोर्ट कमिश्नर को डीएम देंगे।
- यूपीकोका में गैरकानूनी तरीके से कमाई गई संपत्ति को ज़ब्त करने का भी प्रावधान है।
यूपी विधानसभा ने तो यूपीकोका को पास कर दिया है और अब यूपी विधान परिषद में इसे रखा जाएगा और अगर यह वहां से भी पास हो जाता है तो अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा।