सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले तीन तलाक पर बैन के बाद मोदी सरकार इसके खिलाफ एक बिल लाई थी। इस बिल को शुक्रवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके जरिए जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एक साथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी बनाया जाएगा। इस बिल के तहत अगर कोई व्यक्ति एक समय में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो वह गैरजमानती अपराध माना जाएगा और उसे तीन साल की सजा भी हो सकती है।
शुक्रवार को राज्यसभा में विपक्ष के जोरदार हंगामे के बाद हुई मोदी कैबिनेट की बैठक में इस बिल को हरी झंडी दी गई। माना जा रहा है कि सरकार इसे संसद के चालू शीतकालीन सत्र में पारित करवाने की कोशिश करेगी।
बता दें कि मोदी सरकार ने इस बिल को लाने का तर्क दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के बैन किए जाने के बाद भी लगातार तीन तलाक के मामले हो रहे हैं। कानून में तीन तलाक को लेकर सजा का कोई प्रावधान नहीं था। इसी मद्देनजर केंद्र सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है।
मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे बिल के प्रारुप को सभी राज्य सरकारों भेजा गया था और राज्यों की राय मांगी गई थी। इसमें बीजेपी शासित ज्यादातर राज्यों ने इस पर मंजूरी दे दी है। इनमें असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने मंजूरी दे दी हैं। प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।
तीन तलाक के खिलाफ बिल में ये है प्रावधान
1.बिल के प्रारुप के मुताबिक एक वक्त में तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा।
2.एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य होगा ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा।
3.ड्रॉफ्ट बिल के मुताबिक एक बार में तीन तलाक या ‘तलाक ए बिद्दत’ पर लागू होगा और यह पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने की शक्ति देगा।
4.पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे।