Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 जुलाई) को असम में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चुनाव आयोग की ओर से की जा रही परिसीमन प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि देश की सबसे बड़ी अदालत ने राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली 9 राजनीतिक दलों की याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि वह राज्य में परिसीमन प्रक्रिया के संबंध में कोई और कदम उठाने के लिए चुनाव आयोग को रोकने वाला कोई आदेश जारी नहीं करेगा।
बता दें, कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा साथ ही केंद्र के जवाब पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए भी 2 हफ्ते का समय दिया है। हालांकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग पर भरोसा देते हुए कहा कि वह जल्द ही इस मामले पर सुनवाई करेंगे।
CJI ने सुनवाई के दौरान कहा हम वैधानिक प्रावधान पर ऐसे रोक नहीं लगा सकते। यह 15 साल पहले लागू हुआ था। उन्होंने कहा कि 8A स्पष्ट है कि ECI के द्वारा इन राज्यों के लिए दी गई प्रक्रिया का पालन किया गया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि परिसीमन की एक तय प्रक्रिया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज अध्यक्ष और राज्य के सभी दलों के जन प्रतिनिधि शामिल होते हैं। राज्य की आबादी की भागीदारी भी होती है। 2002 के परिसीमन में उस प्रक्रिया का पालन किया गया था। जबकि 2008 में संशोधन कर धारा 10 A को जोड़ा गया।
दरअसल, असम के 126 विधानसभा और 14 लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए ECI के द्वारा ड्राफ्ट प्रपोजल को चुनौती देते हुए दस विपक्षी पार्टियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। असम के परिसीमन को लेकर नौ विपक्षी पार्टियों ने ECI के मसौदे में लिए गए निर्णय की वैधता को चुनौती के साथ धारा 8A की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है। याचिका में इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया गया है।
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