Supreme Court: जोशीमठ में जमीन धंसने और घरों में दरारें पड़ने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।हालांकि जोशीमठ मामले की जल्द सुनवाई की मांग पर शीर्ष अदालत ने तुरंत सुनवाई से इनकार किया। सीजेआई ने याचिकाकर्ता के वकील अंजनी कुमार मिश्रा से मंगलवार को केस मेंशनिंग लिस्ट में लिस्ट कराने को कहा।सीजेआई ने कहा उसके बाद मामले पर विचार करेंगे।
दरअसल ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मसले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।याचिका के जरिये जोशीमठ में घटना से प्रभावित लोगों को सहायता देने, उनकी संपत्ति का बीमा करवाने की मांग उठाई है।याचिका में कहा गया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है। उत्तराखंड के लोगों को तत्काल आर्थिक सहायता और मुआवजा देने का अनुरोध किया गया है।याचिकाकर्ता ने नरसिंह मंदिर के अलावा आदि शंकराचार्य से जुड़ी प्राचीन जगहों के नष्ट होने का भी अंदेशा जताया गया है।
Supreme Court: उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश
Supreme Court: दूसरी तरफ इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट ने निर्देश दिया।केंद्र को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया गया।
इसी याचिका पर सुनवाई करने के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि इस मामले से संबंधित एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल की गई है।इसलिए मामले पर बाद में विचार करेंगे।
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट में जोशीमठ की जमीन धंसने और घरों में दरारें पड़ने को लेकर एक याचिका दाखिल की गई है।याचिका में इस बात की भी मांग उठाई गई है कि उत्तराखंड के जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों के लिए पुनर्वास के लिए काम करने वाले सभी संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि इस पर तुरंत ध्यान दें।
याचिका में कहा गया है कि राज्य की जिमेदारी है कि लोगों के रहने के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करे।याचिका में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में निर्माण गतिविधि ने आज हो रही घटनाओं के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया। इन गतिविधियों की वजह से जोशीमठ के निवासियों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
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