Supreme Court: यूपी गैंगस्टर्स एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।याचिका में एक केस होने पर गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने की वैधता को चुनौती दी गई है।इसके अलावा याचिका में आरोपी की 60 दिन की पुलिस रिमांड देने के प्रावधान को चुनौती दी गई है।इसके साथ ही आरोपी की संपत्ति को अधिग्रहण करने के पुलिस के अधिकार को भी चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि गैंगस्टर एक्ट के तहत लोगों की प्रॉपर्टी जब्त करना भी संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है।इसके साथ ही यूपी गैंगस्टर एक्ट के अधिनियम अनुच्छेद 14 की कसौटी पर खरे नहीं उतरते। यह कानून के शासन के खिलाफ है।याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा गैंगस्टर एक्ट का दुरुपयोग किया जा रहा है। पुलिस इसका प्रयोग मनमाने ढंग करती है।पुलिस जिस पर चाहे गैंगस्टर्स एक्ट लगा देती है।
याचिका में स्पष्ट तौर पर यह भी कहा गया है कि जिस व्यक्ति ने अपराध किया है। उसके खिलाफ पहले ही उस मामले में शिकायम दर्ज की जा चुकी है।उसके खिलाफ इस अधिनियम के तहत फिर से एफआईआर दर्ज कर दी जाती है जोकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 (2) का उल्लंघन है।
Supreme Court: SC ने एक अपराध होने पर भी आपराधिक मामला तय होने की कही थी बात
Supreme Court: इसी वर्ष अप्रैल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि एक आपराधिक मामला होने पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी गैंग का सदस्य है। उस पर एक अपराध का ही आरोप है, तो भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई होनी तय है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने ये फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि गैंग द्वारा किया गया एक अपराध भी गैंग के सदस्य पर गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए काफी है।
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