Supreme Court Live Streaming: देश के सर्वोच्च न्यायालय के लिए आज का दिन बहुत खास है। आज से संविधान पीठ की सभी सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी। बताया जा रहा है कि आज करीब तीन अलग-अलग केसों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी। इन सभी सुनवाई का आज सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसके लिए भारत सरकार की webcast.gov.in/scindia पर लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़ा लिंक भी शेयर किया गया है।
गौरतलब है कि आज से ठीक चार साल पहले 27 सितंबर, 2018 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एक पीठ का नेतृत्व करते हुए संवैधानिक महत्व के मामलों में महत्वपूर्ण कार्यवाही के लाइव टेलीकास्ट पर निर्णय लिया था। यह एक ऐतिहासिक फैसला था।
Supreme Court Live Streaming: इस लिंक से देख सकेंगे सुनवाई
लोगों को कोर्ट की सुनवाई लाइव दिखाने के लिए भारत सरकार ने ये वेबसाइट लिंक https://webcast.gov.in/scindia/ जारी किया है। इस लिंक पर क्लिक करके आप पूरी सुनवाई देख सकते हैं।
Supreme Court Live Streaming: जल्द ही सुप्रीम कोर्ट लाएगा अपना नया प्लेटफॉर्म
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने लाइव प्रसारण के बारे में कॉपीराइट का मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि जल्द ही कोर्ट का अपना प्लेटफॉर्म होगा। फिलहाल LIVE प्रसारण सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जाकर वेबकास्ट के जरिये उपलब्ध होगा। इस दौरान संविधान पीठों में संवैधानिक महत्व के व्यापक असर वाले मामलों की सुनवाई होगी। इन सुनवाई को आम जनता https://webcast.gov.in/scindia/ या फिर NIC Webcast के YouTube पर भी देख सकते हैं।
Supreme Court Live Streaming: कौन-कौन से मामले हैं शामिल?
बता दें कि जिन मामलों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, उनमें आर्थिक आरक्षण, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकारों के विवाद और बार काउंसिल के नियमों से जुड़े मुद्दे पर सुनवाई होगी। तीनों मामलों की सुनवाई संविधान पीठ करेगी। CJI यूयू ललित, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यतक्षता वाली पीठ इन मामलों की सुनवाई करेगी।
Supreme Court Live Streaming: इन मामलों की नहीं होगी LIVE स्ट्रीमिंग
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के हर केस की सुनवाई का सीधा प्रसारण नहीं किया जाएगा। इसकी सबसे बड़ी वजह है वो मामले जो बेहद संवेदनशील हैं। इनमें वैवाहिक, नाबालिक, किशोर/युवा की निजी जिंदगी से संबंधित, देशहित के मामले शामिल हैं। इसके अलावा यौन शोषण, दुष्कर्म, गोपनीय मामले और भड़काऊ या फिर दंगे फैलाने जैसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण नहीं होगा।
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