सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनावी बांड योजना असंवैधानिक और मनमानी है और इससे राजनीतिक दलों और दानदाताओं के बीच quid pro quo व्यवस्था पैदा हो सकती है। यानी एक तरह की लेन देन की व्यवस्था बन सकती है।
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने माना कि काले धन से लड़ने और दानदाताओं की गोपनीयता बनाए रखने का घोषित उद्देश्य इस योजना का बचाव नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि चुनावी बांड काले धन पर अंकुश लगाने का एकमात्र तरीका नहीं है।
CJI ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक तुरंत इन बांडों को जारी करना बंद कर देगा और इस माध्यम से किए गए दान का विवरण भारत के चुनाव आयोग को प्रदान करेगा। चुनाव निकाय को यह जानकारी 31 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए कहा गया है।
पांच न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।