दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में तैनात नौकरशाहों को नियंत्रित करने वाले केंद्र के कार्यकारी आदेश पर कोई रोक नहीं होगी। दरअसल केजरीवाल सरकार ने केंद्र के आदेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। लेकिन दिल्ली सरकार की याचिका के बाद कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम उपराज्यपाल को पक्षकार बनाने के लिए याचिका में संशोधन करने के लिए नोटिस जारी करेंगे।” अगली सुनवाई सोमवार को है, जब कोर्ट उपराज्यपाल द्वारा फेलो, रिसर्च ऑफिसर जैसे 400 विशेषज्ञों को बर्खास्त करने की दिल्ली सरकार की याचिका पर भी सुनवाई करेगा।
दिल्ली ने पिछले महीने केंद्र द्वारा कार्यकारी आदेश पारित करने के तुरंत बाद दायर अपनी याचिका में अदालत से कहा था, “उपराज्यपाल एक सुपर सीएम की तरह काम कर रहे हैं।” गौरतलब है कि केंद्र सरकार का अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज करता है जिसमें कहा गया था कि केवल दिल्ली सरकार ही बॉस है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा था कि भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को छोड़कर, उपराज्यपाल के पास संविधान के तहत “कोई स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं” है।