सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अवकाश पीठ ने गुरुवार को एक तत्काल उल्लेख वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
दरअसल वकील अश्विनी उपाध्याय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की उन अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी जो 2000 के करेंसी नोट को बिना किसी पहचान प्रमाण के एक्सचेंज की अनुमति देती हैं।
पीठ ने कहा कि वह छुट्टियों के दौरान इस तरह के मामलों को नहीं देखेगा और उपाध्याय को सर्वोच्च न्यायालय के फिर से शुरू होने के बाद इस मामले का उल्लेख करने की अनुमति दी।
याद हो कि दो दिन पहले, उपाध्याय की याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणि की खंडपीठ ने खारिज कर दिया था।
याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि 2000 रुपये के नोट को जारी करने का उद्देश्य करेंसी की कमी को पूरा करना था। नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी की कमी को पूरा करने के लिए उस समय 2 हजार के नोट जारी किए गए थे।