Rahul Gandhi:मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट से राहुल गांधी को अंतरिम राहत नहीं मिली है। फिलहाल आदेश जून में आने की उम्मीद है। दरअसल इस मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट राहुल गांधी की “मोदी उपनाम” टिप्पणी पर एक आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रहा है।
बता दें कि सूरत में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया था और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई। गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी की “मोदी उपनाम टिप्पणी” पर मामला दायर किया था।
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राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करने के लिए दो साल की जेल की सजा पर्याप्त थी। कानून कहता है कि अगर किसी सदस्य को दो या अधिक वर्षों के लिए किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है, तो उसकी सीट खाली घोषित कर दी जाएगी। संसद में केवल तभी रह सकता है जब सजा निलंबित हो।
गुजरात की अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी और अपील दायर करने के लिए 30 दिन का समय दिया था। कोर्ट के झटके के बाद राहुल गांधी ने दिल्ली में अपना सरकारी आवास खाली कर दिया। लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने उन्हें अपना 12, तुगलक लेन बंगला खाली करने के लिए एक पत्र भेजा था।
बता दें कि 2019 में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान, राहुल गांधी ने कहा था कि “सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे होता है”।
छुट्टियों के बाद होगी मामले की सुनवाई-कोर्ट
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के खिलाफ दाखिल मानहानि के मामले में दोष सिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। जस्टिस हेमंत प्रच्छक की बेंच ने राहुल गांधी को अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कि उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाई जा सकती है या नहीं, इस मसले पर छुट्टियों के बाद सुनवाई करेंगे।
राहुल की ओर से उनकी दोष सिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने के निचली अदालत के फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए उन्हें अंतरिम संरक्षण दिए जाने की मांग की है।वहीं, शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी की दोष सिद्धि पर रोक लगाने की याचिका का विरोध करते हुए पूछा कि क्या इस तरह से विपक्ष के नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री को चोर बता रहे हैं? क्या यही भाषा है? उन्होंने न तो अपनी टिप्पणी पर माफी मांगी और न ही कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि राहुल की याचिका खारिज की जानी चाहिए क्योंकि यह गंभीर अपराध है।
इतना ही नहीं वह एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के नेता हैं जिसने देश पर 40 साल तक शासन किया है। अगर वह इस तरह का बयान दे रहे हैं तो उन्हें इसके लिए उन्हें परिणाम भुगतना पड़ेगा।
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