PMLA: सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को बड़ा झटका देते हुए PMLA कानून के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने PMLA एक्ट के तहत ED के गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है। जहां सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को गिरफ्तार करने और समन भेजने का अधिकार है। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, ईडी द्वारा की जाने वाली जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति को अटैच करने के अधिकार बरकरार रहेगा।

ECIR की कॉपी आरोपी को देना नहीं है जरुरी- सुप्रीम कोर्ट
सुनावाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ECIR की तुलना FIR से नहीं की जा सकती। ECIR जांच एजेंसी ED का इंटरनल डॉक्यूमेंट है। ECIR की कॉपी आरोपी को देना भी जरूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त है। कोर्ट ने आगे कहा कि गिरफ्तारी के समय सिर्फ कारणों का खुलासा करना ही पर्याप्त है। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को जारी रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया ‘मनमानी’ नहीं है।

PMLA कानून के खिलाफ दर्ज की गई थी 100 याचिकाएं
बता दें कि PMLA एक्ट के खिलाफ करीब 100 याचिका दायर की गईं थी। जिनकी सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने की है। इन याचिकाओं में कहा गया कि PMLA कानून के तहत आरोपियों की गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार CrPC के दायरे से बाहर है। उच्चतम न्यायालय में दायर याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक बताया गया था। जिसके बाद अब कोर्ट ने PMLA एक्ट के तहत ईडी को मिले अधिकारों को बरकरार रखा है।
17 सालों में PMLA के तहत कुल 5,422 मामले हुए हैं दर्ज
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि पिछले 17 सालों में PMLA के तहत कुल 5,422 मामले दर्ज हुए, जिनमें से केवल 23 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है। सरकार ने कहा कि 1 मार्च, 2022 तक करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने अटैच की है और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की।
संबंधित खबरें…