Supreme Court में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले चुनावी वादों के खिलाफ एक और याचिका दाखिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका Hindu Sena के नेता Sujit Yadav ने दाखिल की है। याचिका में चुनाव के दौरान वोट के लिए झूठे वादे करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है।
पार्टियों की मान्यता की जानी चाहिए रद्द: याचिकाकर्ता
याचिका के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों द्वारा, मुफ्त बिजली, लैपटॉप, स्मॉर्ट फोन के साथ समाजवादी पेंशन योजना और पंजाब में महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति माह भत्ता देने का वादा किया गया है। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। इसलिए ऐसा वादा कर वोट लेने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द की जानी चाहिए। यादव ने अपनी याचिका में कांग्रेस, सपा, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी को पक्षकार बनाया है।
Supreme Court में बीजेपी नेता ने भी दाखिल की थी इसी तरह की एक याचिका
पिछले महीने इसी प्रकार की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में वकील और BJP नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने भी दाखिल की थी। याचिकाकर्ता के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव से पहले जनता के धन से मुफ्त उपहार देना या उसका वादा करना, मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित कर सकता है। जिसकी वजह से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकेगा।
जिसके बाद उत्तर प्रदेश चुनावों के पहले सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा था कि अदालत ने चुनाव आयोग से उसी के संबंध में दिशानिर्देश तैयार करने का आग्रह किया था, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है। यह एक गंभीर मसला है। फ्रीबीज का बजट वास्तविक बजट से आगे जाता है। यह चुनाव को प्रभावित करता है।
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