दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत पर जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज फैसला दिया। कोर्ट ने कहा इस मामले में जब पहला आदेश जारी किया गया तब से अब तक सात महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया है। हमने मनीष सिसोदिया को निचली अदालत फिर हाई कोर्ट जाने को कहा था फिर सुप्रीम कोर्ट आने को। उन्होंने दोनों अदालत में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने कहा कि देरी के आधार पर जमनात की बात हमने पिछले साल अक्टूबर के आदेश में कही थी। वहीं इस मामले में ट्रिपल टेस्ट आड़े नहीं आएगा क्योंकि यहां मामला मुकदमे के शुरू होने में देरी को लेकर है। जबकि निचली अदालत ने राइट टू स्पीडी ट्रायल को अनदेखा किया और मेरिट के आधार पर जमानत रद्द नहीं की थी।
कोर्ट ने कहा ED की तरफ से कहा गया कि मामले में देरी करने के लिए अलग-अलग आरोपी की तरफ से 14 याचिकाएं दाखिल की गईं जबकि मनीष ने जो अर्जियां दाखिल की हैं उसमें ज्यादातर अपनी पत्नी से मिलने या फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए की गई थीं। वहीं CBI के मामले में 13 अर्जियां दाखिल की गई थीं। कोर्ट ने कहा सभी अर्जियों में निचली अदालत ने मंजूरी दी थी और निचली अदालत ने अपने फैसले में मनीष की अर्जियों की वजह से ट्रायल शुरू होने में देरी हुई कहा जो कि सही नहीं है। हम इस बात से सहमत नहीं कि अर्जियों की वजह से ट्रायल में देरी हुई। कोर्ट ने कहा इस मामले में 8 आरोप पत्र ED के द्वारा दाखिल हुए हैं। ऐसे में जब जुलाई मे जांच पूरी हो चुकी है तो ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ। कोर्ट ने कहा हाई कोर्ट और निचली अदालत ने इन तथ्यों को अनदेखा किया।
सुप्रीम कोर्ट ने CBI और ED दोनों मामलों में जमानत देते हुए कहा ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि याचिकाकर्ता ने सुनवाई में देरी की। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत के लिए ट्रायल में देरी को मुख्य आधार बताते हुए लंबे समय तक प्री-ट्रायल हिरासत को गंभीरता से लिया और कहा जमानत एक नियम है,जेल एक अपवाद है।
कोर्ट ने कहा कि हमने लंबे समय तक जेल मे रखे जाने के मामले पर विचार किया। वहीं मामले का ट्रायल भी निकट भविष्य में खत्म नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया को जमानत के लिए वापस ट्रायल कोर्ट भेजना उनके साथ सांप-सीढ़ी का खेल खेलने जैसा होगा। वहीं आरोपी को त्वरित सुनवाई का अधिकार है और स्वतंत्रता का अधिकार एक पवित्र अधिकार भी है। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए शर्ते लगाई हैं।
कोर्ट ने कहा कि मनीष को अपना पासपोर्ट विशेष न्यायालय में जमा करना होगा। इसके अलावा मनीष प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को सुबह 10-11 बजे के बीच जांच अधिकारी को रिपोर्ट करेंगे। साथ ही मनीष इस दौरान गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का कोई प्रयास नहीं करेंगे। बता दें कि सिसोदिया के वकील द्वारा राउज़ एवेन्यू कोर्ट में जमानत बांड भर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक CBI और ED दोनों मामलों में दो-दो जमानतदारों के साथ 10 लाख के जमानत बांड दाखिल किया गया है। Rouse Avenue कोर्ट की स्पेशल जज ने स्पेशल मैसेंजर के जरिए ऑर्डर जेल अथॉरिटी को भेजने का आदेश दिया है।