दिल्ली के Lutyens Zone में अपना बंगला बनाए रखने की मांग करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।शरद यादव ने याचिका में कहा है कि उनकी अयोग्यता के फैसले की अपील का मामला हाई कोर्ट में लंबित है।मामले में अंतिम फैसला आने तक बंगला खाली नहीं कराया जा सकता है। इस बाबत उन्होंने बीमारी का हवाला देते हुए असमर्थता जाहिर की है। दरअसल दिसंबर 2017 में राज्यसभा की सदस्यता से शरद यादव को अयोग्य घोषित कर दिया था, दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 मार्च को उन्हें 15 दिनों के अंदर बंगला खाली करने का आदेश दिया था।
शरद यादव पिछले 22 वर्षों से उस बंगले में रहे हैं।
Lutyens Zone: सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए जा चुके हैं
उच्च न्यायालय ने जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को राजधानी में बतौर सांसद मिले सरकारी बंगले को 15 दिनों के भीतर खाली करने का निर्देश दिया है। यादव को 2017 में राज्यसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि यादव को अयोग्य ठहराए 4 साल से अधिक समय बीत चुका है, उनके लिए सरकारी आवास बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश आंशिक रूप से संशोधित किया
जून 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को आंशिक रूप से संशोधित करते हुए कहा था कि वह अपने आधिकारिक आवास को बरकरार रख सकते हैं लेकिन वेतन और अन्य लाभों के हकदार नहीं होंगे। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र द्वारा याचिका याचिका का निपटारा कर दिया। जिसमें राजधानी में उनके कब्जे वाले एक सरकारी बंगले को खाली करने पर लगाई रोक को खत्म करने का आग्रह किया था।
यादव ने 2017 में कई आधारों पर राज्यसभा से अपनी अयोग्यता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आदेश पारित करने से पहले उन्हें राज्यसभा के सभापति द्वारा पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया था।
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