तिरवनंतपुरम के CHMM कॉलेज फॉर एडवांस स्टडीज में पढ़ाई कर रहे एक छात्र और छात्रा के बीच प्यार पनपा और दोनों घर छोड़कर भाग गए। लड़की के घरवाले को रिश्ता मंजूर नहीं था, सो दोनों ने भाग कर शादी कर ली। लड़की के घरवालों ने लड़की के गायब होने पर पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करा दिया। दोनों बीबीए की पढ़ाई कर रहे थे।
बाद में लड़का और लड़की के परिवारवालों के बीच सुलह हो गई और दोनों घर लौट आए और हंसी-खुशी जिंदगी शुरु की। लेकिन मुश्किल तब शुरु हुई जब कॉलेज मैनेजमैंट ने दोनों को ‘अनुशासन तोड़ने’ के आरोप में कॉलेज से निकाल दिया। लड़की उसी कॉलेज में अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, इसलिए उसने कॉलेज प्रबंधन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जबकि उसके पति ने कॉलेज प्रबंधन से अपने सर्टिफिकेट की मांग की, जो एडमिशन के वक्त लिया गया था।
इस मामले में जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘प्यार अंधा होता है और यह सहज मानवीय प्रवृत्ति है। अकादमिक अनुशासन के संदर्भ में इस याचिका में यह सवाल किया गया है कि ‘प्यार स्वतंत्रता है या बेड़ी’ उन्होंने कहा, ‘प्यार और भागने को नैतिकता के आधार पर अनुशासन तोड़ने का नाम नहीं दिया जा सकता। यह कुछ लोगों के लिए अपराध हो सकता है और कुछ के लिए अपराध नहीं होगा।’
अदालत ने कहा, ‘किसी का किसी के साथ संबंध रखना उसका निजी फैसला है और यह उसको संविधान के तहत दी गई मूल स्वतंत्रता है। जीवनसाथी या जिंदगी जीने का रास्ता चुनना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विषय है।’ अदालत ने कॉलेज को निर्देश दिया है कि वह लड़की की पढ़ाई आगे जारी रखने दे और लड़के के सर्टिफिकेट लौटाए।