सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका आमने सामने हैं। इसका एक नजारा शुक्रवार (4 मई) को सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला जब जस्टिस मदन बी लोकुर ने जजों की नियुक्ति को लेकर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से सवाल पूछे और सख्त टिप्पणियां कीं।

उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के एम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच की अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से तीखी बहस हो गयी। इससे ये साफ हो गया कि जस्टिस जोसेफ का नाम वापस भेजे जाने से कॉलेजियम खुश नहीं है।

मामला मणिपुर से जुड़ा हुआ था और सुनवाई के दौरान जस्टिस मदन बी लोकुर ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा कि फिलहाल केंद्र के पास हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम की कितनी सिफारिश लंबित हैं? AG ने इसका जवाब देते हुए कहा कि इस बारे में जानकारी जानकारी जुटानी होगी। AG के इस जवाब पर जस्टिस लोकुर ने कहा कि सरकार के साथ यही दिक्कत है। सरकार से किसी भी विषय पर पूछा जाए आप कहते हैं कि जानकारी लेनी होगी। AG ने इस बात का जवाब देते हुए कहा कि कोलेजियम को बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए और ज़्यादा नामों की सिफारिश भेजनी चाहिए। उन्होंने कहा कई हाईकोर्ट्स में 40 तक जजों के पद खाली हैं पर कॉलेजियम सिर्फ 3-4 नाम ही भेजता है।

19 अप्रैल को कॉलेजियम ने मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए न्यायमूर्ति एम याकूब मीर और मणिपुर उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के लिए न्यायमूर्ति रामलिंगम सुधाकर के नामों की सिफारिश के मामले पर बेंच के पूछे जाने पर AG ने कहा कि दोनों की नियुक्ति के लिए जल्द आदेश जारी होंगे। फिर जस्टिस लोकुर ने कहा कि आपका जल्द तीन महीने भी हो सकता है !

इसके बाद कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा की उच्च न्यायालयों में रिक्तियों के संबंध में 10 दिनों में हलफनामा दाखिल करने को कहा।

दरअसल 17 अप्रैल को मणिपुर उच्च न्यायालय से गुवहाटी उच्च न्यायालय में मामले के ट्रांसफर  याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा किया था कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा जैसे उच्च न्यायालयों में खराब हालात हैं। जस्टिस मदन बी लोकुर कॉलेजियम के सदस्य हैं। एक हकीकत ये है कि  देश के सभी 24 हाई कोर्ट में जजों के स्वीकृत 1079 पदों में से 403 खाली हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट में जजों के सात पद खाली हैं।

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