Supreme Court ने गुरुवार को घोषणा की कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर स्वत: संज्ञान ले सकता है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि NGT मीडिया रिपोर्ट या अन्य माध्यमो के आधार पर पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू कर सकता है। NGT has power to take suo motu Supreme Court
इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का कहना था कि NGT के पास स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियां नहीं है। हालांकि NGT पर्यावरण संबंधी चिंताओं को उठाते हुए मामलो पर कार्रवाई कर सकता है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा भी था कि अगर NGT के पास कोई किसी माध्यम से जानकारी आए तो भी क्या वह उस पर संज्ञान नहीं ले सकता? इस पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से कोर्ट को यह बताया गया था कि पर्यावरण नियमों के अनुपालन और इसकी निगरानी के उद्देश्य को लेकर NGT का गठन हुआ था। प्रतिक्रियात्मक रूप से कानून में कहीं भी स्वतः संज्ञान लेने के अधिकार नहीं दिए गए हैं।
पर्यावरण के नियम उल्लंघन से आम जनता पर प्रभाव पड़ता है : सुप्रीम कोर्ट
इस मामले पर सुनवाई के दौरान में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि बॉम्बे हाईकोर्ट इस मसले पर सुनवाई कर रहा है तो क्या ऐसे में NGT को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है? वहीं सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि पर्यावरण और वन कानूनों का उल्लंघन केवल दो पक्षों के बीच विवाद नहीं है, बल्कि यह आम जनता को भी प्रभावित करता है।
क्या NGT स्वत: संज्ञान ले सकता है : यााचिका
दरअसल महाराष्ट्र के एक वेस्ट मैनेजमेंट के मामले पर NGT में स्वत: संज्ञान ले लिया और मामले की सुनवाई की। इस मामले पर सुनवाई के बाद पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर नगर महापालिका के ऊपर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके बाद कई याचिकाएं दाखिल कर यह सवाल उठाया गया है कि क्या NGT स्वत: संज्ञान ले सकता है? सुप्रीमकोर्ट को यही तय करना था कि क्या NGT किसी मामले पर खुद से संज्ञान ले सकता है या नही ?