Hijab case: कर्नाटक के हिजाब मामले (Hijab case) को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बहस की गई। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच हिजाब मामले की सुनवाई कर रही है। मंगवार को सुनवाई का 8वां दिन रहा। वहीं, बुधवार को भी सुनवाई की जाएगी। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा यूनिफॉर्म और अनुशासन पर लंबी दलीलें दी गईं। उन्होंने कई मुद्दों का जिक्र करते हुए यह साबित करने की कोशिश की कि हिजाब कोई जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं है। वहीं, इस दौरान कोर्ट में तीखी बहस भी देखने को मिली।

Hijab case: स्कूलों में यूनिफार्म का पालन करना अनुशासन- तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील देते हुए कहा कि वेदशाला और पाठशाला दोनों अलग हैं। उन्होंने कहा कि वेदशाला में केसरिया पटका तो मदरसे में गोल टोपी पहन सकते हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्ष स्कूल में यूनिफॉर्म का पालन करना अनुशासन है। अगर हम इन स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाते हैं तो हमें नियमों का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि जब मैं धर्मनिरपेक्ष शिक्षा में हूं तो मैं धार्मिक पहचान दिखाने वाले कपड़े नहीं पहन सकता। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ने पुलिस बलों में दाढ़ी रखने या बाल बढ़ाने के मामले में प्रतिबंध को लेकर एक अमेरिकी कोर्ट के फैसले को भी कोर्ट में रखा।
हिजाब से किसी की शांति को नहीं है खतरा- दवे
वहीं, हिजाब मामले में दुष्यंत दवे ने कहा कि हिजाब गरिमा का प्रतीक है। मुस्लिम महिला गरिमापूर्ण दिखती हैं। उन्होंने कहा कि इससे किसी की शांति को कोई खतरा नहीं है। जब दवे ने कहा कि कर्नाटक में कई बार अल्पसंख्यक समुदार को टारगेट किया गया है तो इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कोई पब्लिक प्लेटफार्म नहीं है, आप कानून पर अपनी बाते रखें।
स्कूल में किसी विशेष धर्म की कोई पहचान नहीं-मेहता
कर्नाटक सरकार की ओर से कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अपनी दलीलें रख रहे थे। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि कम से कम 2004 तक किसी ने हिजाब नहीं पहना था, लेकिन अचानक दिसंबर 2021 में ये शुरू हो गया। मेहता ने हाईकोर्ट के फैसले को पढ़ा, जिसमें कहा गया है कि जहां कोई ड्रेस निर्धारित नहीं है, छात्र ऐसी पोशाक पहनेंगे जो समानता और एकता के विचार को बढ़ावा दें। इस दौरान तुषार मेहता ने कहा कि स्कूल में किसी विशेष धर्म की कोई पहचान नहीं है। आप केवल एक स्टूडेंट के रूप में वहां जा रहे हैं।
ईरान के हिजाब मामले का भी हुआ जिक्र
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईरान में हिजाब के खिलाफ जारी विरोध का भी कोर्ट में जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हिजाब कोई जरूरी प्रथा नहीं है। यहां तक कि जो इस्लामिक देश है, जहां इस्लाम राजकीय धर्म है, वहां की महिलाएं भी हिजाब के खिलाफ विरोध कर रही हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि ऐसा विरोध ईरान में हो रहा है।
मालूम हो कि बीते दिनों हिजाब नहीं पहने पर एक 22 वर्षीय युवती को ईरान की पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। उसके बाद पुलिस हिरासत में ही लड़की की मौत हो गई है। इस पर गुस्सायी ईरान की महिलाएं हिजाब के खिलाफ विरोध कर रही हैं। वे अपने सिर के बालों को काटकर और हिजाब को जलाकर विरोध कर रही हैं।
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