हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बंधुआ मजदूरी का आरोप लगाते हुए दायर एक जनहित याचिका का स्वत: संज्ञान लेते हुए निपटारा किया। कोर्ट ने हालही में एक लड़के द्वारा लिखे गए पत्र के संज्ञान में दर्ज एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसे अन्य लोगों के साथ हिरासत में लिया गया, और जबरन मजदूरी करवाई गई।
High Court : याचिका का नोटिस जारी किया
याचिका का नोटिस 27 जनवरी, 2022 को जारी किया गया था। जिसमें प्रतिवादियों को तथ्यात्मक स्थिति के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। बीते 28 जनवरी को कोर्ट में स्थिति की ताजा रिपोर्ट दायर की गई थी। जिससे पता चलता है कि यह केवल कुछ मौद्रिक विवादों के कारण ही शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता के अन्य व्यक्तियों के साथ बंधुआ मजदूरी के संबंध में कोई सबूत नहीं मिले।
कोर्ट ने कहा कि मुख्य शिकायतकर्ता पहले ही अपने परिवार के साथ अपने मूल स्थान के लिए रवाना हो चुका है, जबकि अन्य शिकायतकर्ता भी अपने मूल स्थान पर वापस जाने का इरादा रखता है।
आधिकारिक प्रतिवादियों द्वारा उसकी वापसी के लिए कोई बाधा नहीं बनाई गई है। कोर्ट का कहना था कि तीसरा शिकायतकर्ता वापस रहना चाहता है, क्योंकि उसे ईंट भट्ठे के मालिक के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। ये बात उसके द्वारा पुलिस को दिए गए बयान से स्पष्ट हो चुकी है। ऐसे में मामले के कोर्ट इस याचिका पर चुप रहना ही बेहतर समझता है। कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि वादी या शिकायतकर्ता किसी अन्य व्यक्ति को कोई दिक्कत है, तो वह एक नई याचिका दायर कर तत्काल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है।
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