Godra Roits: गुजरात के गोधरा में 2002 में ट्रेन के कोच में आग लगाकर 59 लोगों की हत्या करने के मामले में 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने 21 अप्रैल को जमानत दे दी है। गोधरा कांड में सभी दोषियों को निचली अदालत और हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। गोधरा कांड में सभी दोषियों को 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर जमानत दिया गया है। बता दें कि फांसी की सजा पाने वाले 4 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया है।

भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस पीएस नरसिम्हा वाली बेंच ने गोधरा कांड में दोषी 8 आरोपियों को जमानत दी है। 2017 के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले जिसपर 11 दोषियों को मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था उस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई थी।
Godra Roits: क्या है गोधरा कांड
Godra Roits: साल 2002 में 27 फरवरी को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 कोच में कुछ लोगों द्वारा आग लगाई गई थी। इस ट्रेन में अयोध्या जा रहे कारसेवक सवार थे। इस हादसे में 58 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। वर्ष 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को इस मामले में दोषी ठहराया था। जिनमें से 11 को मौत की सजा हुई थी। तथा बाकियों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। इसके अलावा 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया था। गोधरा कांड में 11 दोषियों को 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
Godra Roits: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 31 गोधरा दंगों के दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई की। जिनमें से कुछ ने याचिका में आग्रह किया है कि उन्हें दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपीलों का निस्तारण होने तक जमानत दी जाए। निचली अदालत ने 11 दोषियों को जबकि 20 अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में गुजरात उच्च न्यायालय ने 31 की सजा को बरकरार रखा लेकिन मामले में मौत की सजा को कम कर दिया। गुजरात की एक अदालत द्वारा गोधरा आगजनी के बाद हुए नरोदा दंगों के सभी आरोपियों को बरी किए जाने के एक दिन बाद अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी।
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