Delhi Riots Hate Speech Case: Anurag Thakur और Parvesh Verma की गिरफ्तारी वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी, “मुस्कान के साथ दिया हुआ भाषण जुर्म नहीं”

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Delhi Riots Hate Speech Case
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Delhi Riots Hate Speech Case: उत्तर पूर्व दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को हुए दंगों को लेकर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अगर किसी भी बात को मुस्कान के साथ कहा गया है तो वह जुर्म नहीं है। पर अगर उस बात में कुछ गलत है तो वह जरूर जुर्म है। कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान दिया गया भाषण समान्य तौर पर अलग होता है। चुनाव के समय भाषण माहौल बनाने के लिए दिया जाता है। इरादा गलत नहीं होता है।

Delhi Riots Hate Speech Case: भाषण देना जुर्म नहीं

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दरअसल लोअर कोर्ट में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी नेता परवेश वर्मा पर एफआईआर दायर करने की मांग करने वाली याचिका खारिज होने के बाद CPI(M) Leader Brinda Karat ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। इसी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अगर भाषण चुनाव के दौरान दिया गया है तो यह अलग बात है। चुनावी भाषण को लेकर 1 हजार से अधिक लोगों पर केस है। इसमें हम सोच समझकर फैसले लेते हैं।

कोर्ट ने आगे कहा कि क्या इन नेताओं ने चुनाव के समय भाषण दिया था? अगर कोई भी भाषण चुनाव के दौरान दिया गया है तो वो बात भिन्न है। चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा काफी कुछ कहा जाता है। ये गलत है ऐसा नहीं बोलना चाहिए है। पर हम ये नहीं कह सकते हैं कि ये जुर्म है।

Delhi Riots Hate Speech Case: भाषण देते वक्त इरादा महत्व रखता है

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कोर्ट ने आगे कहा, क्योंकि हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। आप को भी भाषण देने की आजादी है। कब भाषण दिया गया था, क्यों दिया गया था यह महत्व नहीं रखता है। महत्व ये रखता है कि भाषण देने के समय इरादा क्या था। कोर्ट ने बताया कि भाषण वाला इरादा जनता को जुर्म करने के लिए उकसाना था या फिर चुनाव जीतना था ये महत्व रखता है।

जाहिर है अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा पर दिल्ली दंगा भड़काने का आरोप लगा है। दोनों को गिरफ्तार करने की मांग काफी समय से हो रही है। लोअर कोर्ट ने गिरफ्तारी वाली याचिका को खारिज कर दिया है। ऐसे में हाई कोर्ट ने बयान और मुस्कान को लेकर टिप्पणी की है।

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