Delhi High Court: पिछले बुधवार को Delhi high court ने दिल्ली में बढ़ते हुए डेंगू के मामले पर सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार और नगर निगन को फटकार लगायी। राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या प्रशासन को लकवा मार गया है? किसी को भी मौतों की परवाह नहीं है।
“चुनाव में भी मुफ्त की सेवाओं को ही मुद्दा बनाया जा रहा है“
हाई कोर्ट ने कहा कि शहर में बड़े पैमाने पर मच्छरों का प्रकोप है। यही वजह है कि हर साल मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसी बीमारीयां बड़े पैमाने पर होती है। कोर्ट ने कहा किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है कोई जवाबदेही नहीं है। सभी ने ये मान लिया है कि ये बीमारियां आती है और चली जाती है, अब इस बीमारी से मरने पर किसी को कोई फर्क नही पड़ता है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिकारी अपने दृष्टिकोण में इतने लोकलुभावन हो गए हैं कि नीतियां केवल लोकलुभावन तरीके से बनाई जा रही हैं और वे ऐसा कुछ भी करने से डरते हैं जिससे उनका वोट खो जाए।“अगर केवल चुनाव लड़े जाते और वास्तविक मुद्दों पर जीते या हारे जाते, तो हमारे पास एक अलग शहर होता। यह उस तरह काम नहीं करता है। आज उनके साथ मुफ्त में लड़ाई लड़ी जा रही है।’ चुनाव के मुद्दे के रूप में भी इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है की क्या मुफ्त है और क्या नहीं?
दिल्ली हाई कोर्ट ने अदालत ने गठित की Amicus curiae
डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों सहित मच्छरों के मामले में सहायता करने के लिए एक न्याय मित्र नियुक्त किया, और मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा, जो मच्छरों के प्रजनन के संक्रमण पर एक अन्य स्वयं संज्ञान याचिका पर भी विचार कर रहा है। साथ ही हाई कोर्ट ने वकील Rajat aneja को इस मामले में कोर्ट की मदद करने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया।
क्या है “एमिकस क्यूरी” (Amicus curiae)?
“एमिकस क्यूरी” (Amicus curiae) का अर्थ “न्याय मित्र” होता है। यह किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि केवल न्यायालय की मदद करता है। इसका कार्य है की यदि केस में कोई पार्टी नहीं है तो वह कानून के आधार पर न्यायालय को निर्णय लेने में तथा केस के अन्य पहलुओं की जानकारी प्रदान करने में सहायता करता है।
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