Chhawla Gangrape Case: 2012 के छावला गैंगरेप मामले में पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इस मामले में परिवार ने एक बार फिर कोर्ट से विचार करने की अपील की है। परिजनों द्वारा याचिका में कहा गया है कि जिन सबूतों के आधार पर हाईकोर्ट और निचली अदालत ने सजा सुनाई थी, उनपर सुप्रीम कोर्ट ने सही से ध्यान नहीं दिया। सबूतों में पाया गया था कि कार में खुन के धब्बे वाला जैक मिला था, कॉल रिकॉर्ड, डीएनए मैच जैसे बड़े सबूत थे, लेकिन अदालत ने इसपर ध्यान नहीं देते हुए नजरअंदाज कर दिया। अदालत ने दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। इसलिए परिवार ने अदलात से फैसले पर समीक्षा की मांग की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को 19 वर्षीय महिला के साथ गैंगरेप और हत्या के आरोप में 3 दोषियों को रिहा कर दिया था।
Chhawla Gangrape Case: अदालत ने तीन दोषियों को बरी करने का सुनाया था फैसला
बता दें कि इसके पहले दिल्ली सरकार ने 2012 के गैंगरेप और हत्या मामले में तीन दोषियों को बरी करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देने की बात कही थी। दिल्ली सरकार ने एलजी से अनुरोध किया था कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करने दी जाए, जिसे एलजी ने भी मंजूरी दे दी थी। इस मामले में एलजी ने दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए एसजी तुषार मेहता और एडीएल एसजी को नियुक्त करने को भी मंजूरी दे दी थी।
2012 में दरिदों ने की थी हैवानियत की सारी हदें पार
दरअसल, यद दर्दनाक घटना 2012 की है। जब दिल्ली के Chhawla इलाके में 19 साल की एक युवती का 2012 में अपहरण कर लिया गया था। दुष्कर्म करने के बाद दरिदों ने पीड़िता की आंखों पर तेजाब डाला और हत्या के बाद शव को क्षत-विक्षत हालत में फेंक दिया। शव को हरियाणा से बरामद किया गया था। युवती का शव अपहरण के 3 दिन बाद पाया गया था।
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