Allahabad High Court ने करोड़ों रुपये के शेयर घोटाले में यस बैंक के अधिकारियों के खिलाफ दाखिल प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और उससे संबंधित याचिका को खारिज कर दिया है।
कोर्ट में यस बैंक की याचिका पर जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने बैंक में जमा शेयर अटैच किए जाने के जांच अधिकारी के नोटिस पर यह कहते हुए हस्तक्षेप से इंकार कर दिया कि याची के पास नोटिस के खिलाफ वैकल्पिक उपचार उपलब्ध है। लिहाजा कोर्ट मौजूदा हालात में अनुच्छेद 226 के तहत अपने क्षेत्राधिकार का उपयोग नहीं कर सकती है।
यस बैंक की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की
बेंच के सामने यस बैंक की ओर से सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पैरवी की वहीं राज्य सरकार क ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और एजीए प्रथम एके संड ने अपनी दलीलें दीं।
इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी और नवीन सिन्हा ने पक्ष रखा। बताया जा रहा है कि प्राथमिकी के अनुसार यस बैंक के अधिकारियों ने राज्य सभा सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा पर दबाव बनाकर डीटीएच, वीडियोकॉन के आदि के शेयर में करोड़ों रुपये की रकम लगवाई।
मामले में वादी का आरोप कि फर्जी कागजातों के जरिए उससे रकम लगवाई गई
मामले में वादी का कहना है कि ऐसा नहीं करने पर उसे बैंक से लिए लोन वापस करने और अन्य तरीके नुकसान की धमकी दी गई। फर्जी कागजातों के जरिए उससे रकम लगवाई गई। जिसके कारण उसे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। मामले में नोएडा के थाना गौतमबुद्ध नगर सेक्टर 20 में यस बैंक के पूर्व चेयरमैन और एमडी शाह राणा, वीडियो कॉन ग्रुप के सीएमडी वीएन धूत के अलावा यस बैंक ग्रुप के अध्यक्ष संजय बैठे आदि के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि संबंधित केस में अदालत के समक्ष पर्याप्त तथ्य नहीं है। इसलिए याचिका में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है और यह याचिका खारिज की जाती है।
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