Allahabad High Court ने जिला न्यायाधीश जालौन (Jalaun) के एक आदेश को रद्द कर दिया है और निर्देश दिया है कि इस्तीफा स्वीकार कर उसकी तिथि से कार्यमुक्ति करें और रेलवे को आदेश प्रेषित करें। दरअसल जालौन के जिला न्यायाधीश ने रेलवे में चयनित जिला अदालत में कार्यरत कर्मी के इस्तीफे को अस्वीकार कर जांच बैठाने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए जिला जज को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता को 21 हजार रूपये का भुगतान एक हफ्ते में करें। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने खूब सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता प्रतीक चंद्रा ने बहस की।
याचिकाकर्ता Khub Singh की रेलवे में नौकरी लगी थी
मालूम हो कि याचिकाकर्ता खूब सिंह 2014 की भर्ती में जिला अदालत में लिपिक पद पर नियुक्त हुआ। विभाग की अनुमति से रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा दी और स्टेनोग्राफर पद पर चयनित हुआ। इसके बाद उसने जिला जज को लिपिक पद का इस्तीफा भेजा और रेलवे की नौकरी ज्वाइन की। जिला जज ने यह कहते हुए याचिकाकर्ता का इस्तीफा नामंजूर कर दिया कि उसने तीन माह का नोटिस नहीं दिया है और बिना इस्तीफा स्वीकार हुए दूसरे विभाग में ज्वाइन करने को लेकर जांच बैठाई।
याचिकाकर्ता को मानसिक रूप से परेशान किया गया
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अनापत्ति लेकर भर्ती परीक्षा दी और चयनित होने पर इस्तीफा दिया। नियम के तहत नियुक्ति अधिकारी को तीन माह के नोटिस को शिथिल करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को एक साथ दो विभागों में काम करने का अधिकार नहीं है। रेलवे में ज्वाइन करने से जिला अदालत से वेतन नहीं लिया गया है। किसी भी कर्मचारी को बेहतर सेवा में जाने का हक है। इच्छा के विपरीत कर्मी को कार्य करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। जिला जज का आचरण मनमाना पूर्ण है। याचिकाकर्ता को मानसिक रूप से परेशान किया गया।
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