Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रतापगढ़ स्थित ऑटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड की लगभग 97.92 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण को लौटाने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने प्राधिकरण से भी कहा है कि जमीन के एवज में 67.92 करोड़ों रुपये कंपनी समापक के पास दो सप्ताह में जमा करवाएं।
ये आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मैसर्स ऑटो ट्रैक्टर्स समापन के मामले में दिया है। कोर्ट ने कंपनी समापक को निर्देश दिया है कि धनराशि जमा होने की रिपोर्ट दो कार्य दिवस के भीतर कोर्ट को उपलब्ध करवाएं।
इसके साथ ही दो सप्ताह के भीतर यूपीएसडीए को कंपनी समापन सेल लेटर जारी करें। कोर्ट ने कंपनी का समापक को दो माह के भीतर कंपनी की सभी देनदारियों जिनमें सिक्योर्ड क्रेडिटर्स, कर्मचारियों व अन्य लोगों का पूरा बकाया भुगतान को करने का निर्देश दिया है।

Allahabad HC: धनराशि का 5 फीसदी हिस्सा अपने पास सुरक्षित रखने का निर्देश
कोर्ट ने कंपनी समापक से प्राप्त धनराशि का 5 फीसदी हिस्सा अपने पास सुरक्षित रखने के लिए कहा है। सभी बकायेदारों को 7 मई 2020 तक की अवधि का 4 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान किया जाएगा। कोर्ट ने कंपनी समापक से कहा है कि सभी भुगतान के बाद बची हुई धनराशि अलग खाते में जमा करें। जो भविष्य में उत्पन्न होने वाली किसी जिम्मेदारी के भुगतान में काम आएगी। ये भी कहा गया कि यूपीआईडीए भविष्य में उत्पन्न होने वाली किसी जिम्मेदारी के प्रति जवाबदेह नहीं होगी।
Allahabad HC: कंपनी घाटे में होने पर सरकार ने लिया विघटन
गौरतलब है कि प्रतापगढ़ स्थित ऑटो ट्रैक्टर्स लिमिटेड कंपनी घाटे में होने के कारण सरकार ने इसके विघटन का फैसला लिया था। इससे पूर्व सरकार ने भूमि अधिग्रहण कर 97.5 एकड़ जमीन यूपीएसआईडीसी को सौंप दी थी।
यूपीएसआईडीसी यह जमीन कंपनी को स्थानांतरित की गई। विघटन प्रक्रिया के दौरान कंपनी बिग डक और यूपीएसआईडीसी के मध्य एक समझौता हुआ था। जिसके तहत कंपनी यूपीएसआईडीसी द्वारा दी गई 97.92 एकड़ जमीन उसे वापस कर देगी। इसके एवज में यूपीएसआईडीसी कंपनी को 67.92 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा।
Allahabad HC: शर्त में यह शामिल था कि यूपीएसआईडीसी भविष्य में उत्पन्न होने वाली कंपनी की जिम्मेदारियों के प्रति भी जवाबदेह होगी। इस समझौते पर सभी सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने भी सहमति जताते हुए हस्ताक्षर किए थे।बाद में यूपीएसआईडीसी ने भविष्य में उत्पन्न होने वाली जवाबदेही के प्रति जिम्मेदार होने से इनकार कर दिया, जिससे मामला कोर्ट में पहुंच गया था।
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