Allahabad HC: गंगा में प्रदूषण को लेकर दाखिल याचिका पर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विभागों, निगमों और अधिकरणों में तालमेल न होने पर नाखुशी जताई। इस दौरान विरोधाभासी हलफनामा दाखिल कर जवाबदेही परस्पर शिफ्ट करने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव को जांच करने के जरूरी निर्देश जारी किए। कोर्ट ने महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र से कहा कि सभी विभागों, निगमों, स्थानीय निकायों और अधिकरणों की तरफ से पर्यावरण सचिव का आदेशों के अनुपालन पर एक हलफनामा दाखिल करें।
जल निगम ग्रामीण के वकील ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और गंगाजल प्रदूषण पर दाखिल रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए।कहा कि आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट बोर्ड की रिपोर्ट से भिन्न है।कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील कुंवर बाल मुकुंद सिंह से स्थिति स्पष्ट करने को कहा।उन्होंने जानकारी लेने के लिए अदालत से समय मांगा।
Allahabad HC: प्रदूषण मानकों में भिन्नता
दूसरी तरफ कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के प्रदूषण मानकों में भिन्नता पाई। इसके लेकर एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह और भारत सरकार के वकील राजेश त्रिपाठी से जानकारी मांगी। ओमैक्स सिटी प्रोजेक्ट की तरफ से वरिष्ठ वकील विजय बहादुर सिंह ने पक्ष रखते हुएहाईकोर्ट द्वारा अधिकतम बाढ़ बिंदु से गंगा किनारे करीब 500 मीटर तक निर्माण पर रोक लगाने पर आपत्ति जताई। कहा कि मास्टर प्लान के तहत नीति बनी है जोकि पूरे प्रदेश में लागू है।
इसके तहत केवल 200 मीटर तक निर्माण पर रोक है।कोर्ट का आदेश सरकार की नीति के खिलाफ है। जिसमें 1974 की बाढ़ को आधार बनाया गया है,कंपनी ने 500 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं।प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है। ऐसे में सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई अब 1 दिसंबर को होगी। मामले की अगली सुनवाई चीफ जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एमके गुप्ता और जस्टिस अजित कुमार की पीठ करेगी।
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