इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) ने 68,500 नियुक्त उन सभी याची शिक्षकों को उनके पसंदीदा जिले आवंटित करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का कहना है,कि बेसिक शिक्षा सचिव 7 अप्रैल तक कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए 11 अप्रैल को इसकी जिलेवार रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने धर्मेंद्र सिंह व 24 अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
Allahabad High Court: मनपसंद की जगह आवंटित किए थे दूसरे जिले
कोर्ट के समक्ष याचियों की ओर से तर्क दिया गया, कि भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के बाद बेसिक शिक्षा सचिव ने याचिओं को उनके मनपसंद जिले (प्रथम तीन) में भेजने की बजाय दूसरे जिलों में तैनात कर दिया। याचियों ने सचिव के आदेश को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।
कोर्ट ने अपने 14 सितंबर 2021 के आदेश में बेसिक शिक्षा सचिव को 14 जनवरी 2022 तक याचियों को उनके मनपसंद जिले में तैनाती का आदेश जारी किया था, लेकिन उसका आज तक अनुपालन नहीं हो सका। कोर्ट ने इस संबंध में जानकारी तलब की थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को आदेश के अनुपालन के संबंध की जानकारी मुहैया कराई। इसके साथ ही कोर्ट का आदेश अनुपालन कराने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने उन्हें तीन सप्ताह का समय देते हुए मामले की सुनवाई के लिए 11 अप्रैल 2022 की तारीख दी हैा
पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय को कोर्ट ने नहीं मिली राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट एससी/एसटी से जारी सम्मन को चुनौती देने वाली पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय की याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने दिया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय के खिलाफ हाथरस में अपहरण एवं एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराने के लिए अधीनस्थ अदालत में अर्जी दी गई थी।
मंत्री को जारी किया सम्मन
अदालत ने उसे शिकायत के रूप में स्वीकार करते हुए मंत्री को सम्मन जारी किया है। रामवीर उपाध्याय ने याचिका दाखिल कर सम्मन की वैधानिकता को चुनौती दी थी। सम्मन रद्द करने की मांग की थी। रामवीर उपाध्याय की ओर से तर्क दिया गया कि स्पेशल कोर्ट एससी/एसटी को याची के मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है। याची के मामले में स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए में ही सुनवाई हो सकती है।
दूसरी तरफ से कहा गया कि मंत्री के खिलाफ अपहरण एव एससी/एसटी एक्ट के तहत सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत अर्जी दी गई थी, जिसे स्पेशल कोर्ट एससी/एसटी को सुनने का अधिकार है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत मामले को सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए के पास भेज दी।
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