Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा महिला के दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के कारण संरक्षण देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका अवैध संबंधों पर हाईकोर्ट की मुहर लगवाने के अलावा कुछ नहीं है।
ये आदेश न्यायमूर्ति डा केजे. ठाकर तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने सुनीता देवी की याचिका पर दिया।
कोर्ट ने कहा कि देश संविधान से चलता है, लिव इन की अनुमति है। लेकिन याचियों के बारे में नहीं कहा जा सकता कि वे पति पत्नी हैं।
Allahabad HC: कोर्ट ने कहा- पुलिस में दर्ज करवाएं शिकायत
विविध सामाजिक नैतिकता के विपरीत लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। हालांकि कोर्ट समान लिंग के लोगों के साथ रहने के अधिकार पर विचार करती है। लिव इन को भारतीय समाज स्वीकार नहीं करता। कोर्ट अवैधानिकता की अनुमति नहीं दे सकती।
मालूम हो कि याची ने पति का घर छोड़ दिया।उसके बच्चे भी हैं। याची का आरोप है कि उसका पति अपने दोस्तों से संबंध बनाने को कहता है। ऐसे में वह दूसरे के साथ रह रही है। पुलिस और पति पर परेशान करने और धमकाने का आरोप लगाया, लेकिन पुलिस के पास शिकायत दर्ज नहीं कराई।कोर्ट ने कहा कि वह नियमानुसार पुलिस से शिकायत कर सकती हैं।
Allahabad HC: हिरासत में मौत पर जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के छर्रा थाने में पुलिस हिरासत में हुई राहुल की मौत के मामले में गृह सचिव और पुलिस अधीक्षक से जवाबी हलफनामा मांगा है।
ये आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने तेजवीर सिंह की याचिका पर दिया है।याची के भतीजे को एक आपराधिक मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया था। वहां उसकी मौत हो गई।याची ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। याचिका में आरोप है कि परिजनों को अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मुहैया नहीं कराई गई है। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 1 अगस्त की तारीख लगाई है।
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