Allahabad HC: दो दशक से ज्‍यादा पुराने मानहानि केस में पत्रकार की दोषसिद्धि बरकरार, Court ने दिया याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपये भुगतान का आदेश

Allahabad HC: अदालत ने उन्हें अपराधी परिवीक्षा अधिनियम का लाभ प्रदान किया और परिवीक्षा पर रिहा कर दिया। अदालत ने कृपाल को निर्देश दिया कि वह एक महीने में शिकायतकर्ता को एक लाख रुपये का भुगतान करें।

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Allahabad HC: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1994 में प्रकाशित एक साक्षात्कार को लेकर नौकरशाह अनंत कुमार सिंह द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में दो पत्रकारों और एक अखबार के प्रकाशक की दोषसिद्धि को बरकरार रखा है। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि ‘द पायनियर’ तथा ‘स्वतंत्र भारत’ अखबार में मुजफ्फरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह का मानहानिकारक साक्षात्कार प्रकाशित करने के लिए पत्रकार रमन कृपाल, कार्यकारी निदेशक ए के भट्टाचार्य और प्रकाशक संजीव कंवर दोषी हैं।कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपये भुगतान का आदेश दिया।

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Allahabad HC: पुनरीक्षण याचिकाओं को खारिज करते हुए आदेश पारित

अदालत ने उन्हें अपराधी परिवीक्षा अधिनियम का लाभ प्रदान किया और परिवीक्षा पर रिहा कर दिया। अदालत ने कृपाल को निर्देश दिया कि वह एक महीने में शिकायतकर्ता को एक लाख रुपये का भुगतान करें। इसके अलावा कंवर एवं भट्टाचार्य को सिंह को 50-50 हजार रुपये देने का निर्देश दिया गया।
न्यायमूर्ति सिंह ने कृपाल, भट्टाचार्य और कंवर द्वारा संयुक्त रूप से दायर पुनरीक्षण याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया।

Allahabad HC: विशेष मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, लखनऊ ने सिंह का 1994 में एक मानहानिकारक साक्षात्कार लिखने और प्रकाशित करने के लिए उन्हें 2007 में दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की एक अदालत ने 2012 में दोषसिद्धि की पुष्टि की, जिसके खिलाफ तीनों ने 2012 में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।

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