अपने पति या पत्नी के साथ लंबे समय तक सेक्स न करने पर कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पति या पत्नी को लंबे समय तक सेक्स करने की इजाजत न देना मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने इसी आधार पर वाराणसी के एक जोड़े को तलाक की अनुमति दी। यह आदेश अदालत ने वाराणसी के रहने वाले एक शख्स की अपील पर दिया। इससे पहले एक फैमिली कोर्ट ने शख्स की तलाक की याचिका खारिज कर दी थी। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई।
याचिकाकर्ता का विवाह 1979 में हुआ था। शादी के बाद पत्नी का व्यवहार बदल गया। पत्नी पति से अलग रहने लगी। कुछ समय बाद मायके चले गई। पति ने उसे घर चलने के लिए कहा तो वह मानी नहीं। 1994 में गांव में पंचायत कर 22 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के बाद आपसी तलाक हो गया। पति ने तलाक देने की अदालत में अर्जी दी, लेकिन वह अदालत गई ही नहीं। बाद में फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक अर्जी को खारिज कर दिया।
अपना फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के लिए वैवाहिक बंधन का कोई सम्मान नहीं था, उसने अपने दायित्वों का का निर्वहन करने से इंकार कर दिया, इससे यह साबित हो गया कि दोनों की शादी टूट चुकी है।