महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने चर्चित आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले के मामले में अशोक चव्हाण के खिलाफ केस चलाने की राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द कर दिया है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने चव्हाण पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी (षडयंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी दी थी। जब आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला सामने आया था उस वक्त अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे।

बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति साधना जाधव की बेंच ने कहा कि CBI  द्वारा राज्यपाल के सामने अशोक चव्हाण के खिलाफ रखी गई जानकारी को चव्हाण के खिलाफ मामला चलाने के लिए प्रामाणिक सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता। CBI कोई नया सबूत पेश करने में असफल रही है। कोर्ट ने कहा, ‘स्वीकृति देने वाली अथॉरिटी एक स्वतंत्र इकाई है जो कि किसी की राय से खुद को प्रभावित नहीं होने दे सकती।’

अशोक चव्हाण ने 2016 के राज्यपाल के आदेश को कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि राज्यपाल का यह फैसला अवैध,अनुचित और दुर्भावनापूर्ण इरादे के साथ लिया गया है। अशोक चव्हाण 2008 से 2010 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और आदर्श हाउसिंग सोसाइटी मामले में घोटाले का आरोप लगने के बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था।

अशोक चव्हाण का नाम उन 13 लोगों में शामिल था, जिनके नाम CBI ने आदर्श घोटाले में दाखिल की गई चार्जशीट में दिए थे।  CBI ने अपने आरोपों में कहा है कि मंत्रियों, नौकरशाहों और सेना के अधिकारियों ने दक्षिणी मुंबई के कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में सस्ती कीमत पर फ्लैट खरीदने के लिए सांठगांठ की थी। इस 31 मंजिला इमारत में 102 फ्लैट हैं और हर एक फ्लैट की कीमत 10 करोड़ के आसपास है, जबकि बनाते समय इस पर सिर्फ 85 लाख के करीब खर्च आया था।

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