Adani Hindenburg Case: सुप्रीम कोर्ट में अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट में सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जज जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई की। CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने तुषार मेहता से कहा कि 15 फरवरी तक बताए कि कमेटी में कौन कौन शामिल हो सकते हैं? हालांकि, तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा, “अगर इस मामले की जांच के लिए कोर्ट एक्सपर्ट कमेटी गठित करना चाहता है तो इससे हमें(केंद्र सरकार) को कोई आपत्ति नहीं है।”
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Adani Hindenburg Case: 17 फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई
अडानी-हिंडनबर्ग मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार यानी 17 फरवरी को होगी। वहीं, तुषार मेहता ने कहा कि सेबी और दूसरी नियामक संस्थाए इस तरह के हालातों से निपटने में पूरी तरह समर्थ है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट अपनी ओर से कमेटी का गठन करता है तो सरकार को एतराज नहीं है। यह कमेटी सुझाव देगी कि मौजूदा नियामक व्यवस्था को और बेहतर कैसे बनाया जाए?
तुषार मेहता ने आगे कहा कि यदि अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को यह संदेश जाता है कि नियामकों को भी निगरानी तंत्र की आवश्यकता है तो इसका निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि कमेटी के लिए प्रस्तावित नामों की सूची सीलबंद लिफाफे में जमा कर दी जाए और सरकार अन्य दलीलें भी याचिकाकर्ताओं को मुहैया कराए।
तुषार मेहता ने कहा “हम सीलबंद लिफाफे में समिति के लिए नाम सुझाएंगे। समिति में किसे शामिल किया जाए? इसे ओपन कोर्ट में नही कह सकते।” तुषार मेहता ने कहा कि दिए गए नोट की गोपनियता बरकरार रहनी चाहिए। केंद्र का कहना है कि उन्हें विशेषज्ञ समिति गठित करने में कोई समस्या नहीं है लेकिन केंद्र द्वारा समिति के लिए नाम सुझाव देना चाहेंगे। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है।
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