छत्तीसगढ़ में कोर्ट से जमानत के लिए आरोपी के साथ जमानतदार से आधार कार्ड की कॉपी लेने को अनिवार्य बनाए जाने के अपने आदेश में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संशोधन कर दिया है।जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने अपने आदेश में कहा कि वह वकीलों की उन दलीलों और सबूतों से सहमत हैं जिन्होंने कहा है कि आधार की वैधता को लेकर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रहा है और ऐसे में जमानत के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं किया जना चाहिए।
अदालत ने जिला बार एसोसिएशन की दलील के साथ सहमति जताई कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं किया जा सकता। अब जमानत के लिए मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड या पासपोर्ट जैसे पहचान के किसी भी दस्तावेज को दिया किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन डिप्टी एडवोकेट जनरल के उन बयानों के बावजूद किया जिसमें कहा गया था कि बिलासपुर की केंद्रीय जेल में बंद 3,200 कैदियों में से 2,481 कैदियों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं और आधार कार्ड बनाने के लिए राज्य की सभी जेलों में समय-समय पर कैंप लगाए जा रहे हैं। राज्य को आधार कार्ड तैयार करने में कोई समस्या नहीं है।
दरअसल 5 जनवरी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के सभी ट्रायल कोर्ट को जमानत के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने बारे विस्तृत निर्देश जारी किए थे। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का कहना था कि ऐसा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमानत लेने की घटना को खत्म करने के लिए किया गया है। इसके बाद एडवोकेट पीयूष भाटिया ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई की और सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाइकोर्ट अपने दिशा निर्देश में सुधार करना चाहता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुधार करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। इसी के बाद अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने पहले के आदेश में संशोधन किया है।









