आधार की अनिवार्यता और संवैधानिकता के मामले को लेकर मंगलवार (17 अप्रैल) को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आधार कार्ड में दर्ज जानकारी के सुरक्षित होने को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान UIDAI की तरफ से कहा गया कि बॉयोमेट्रिक सूचना को आधार धारक की सहमति के बिना किसी के साथ साझा नहीं किया जाता। साथ ही कहा कि इसके सर्विलांस की संभावना बिल्कुल नहीं है। मामले की सुनवाई कर रही संविधान बेंच के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि ये वास्तविक आशंका है कि उपलब्ध आंकड़े किसी देश के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर डेटा का इस्तेमाल चुनाव परिणाम पर प्रभाव डालने के लिए किया जाता है तो क्या लोकतंत्र बच सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने माना की UIDAI के स्तर पर जानकारी लीक नहीं होती लेकिन हमारे पास डाटा प्रोटेक्शन का कोई कानून नहीं है और अगर डाटा किसी प्राइवेट पार्टी के हाथों लीक होता है तो क्या होगा, हमारी चिंता उसी को लेकर है। इस पर UIDAI की तरफ से कहा गया कि जिसने आप से ऑथेंटिफिकेशन मांगा है उसके स्तर पर डाटा लीक न हो ये हमारी भी चिंता है और अगर ऐसा होता है तो आधार कानून में उसके खिलाफ कर्रवाई का प्रावधान है।

UIDAI ने तर्क दिया कि आधार कि वजह से अथॉरिटी और लोग एक दूसरे से रूबरू हुए हैं। पहले किसी व्यक्ति का राशन कई दूसरा ले लेता था लेकिन अब ऐसा नही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक प्रशासनिक तंत्र होना चाहिए ताकि कोई भी लाभार्थी वंचित न हो। कल बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।

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