कांग्रेस की इस भयंकर चूक ने करा दिया था देश का बंटवारा, जानें इसके बारे में…

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साल 1937 में भारत में प्रांतीय चुनाव हुए थे। ऐसा पहली बार हुआ था जब देश में राजनीतिक दल चुनाव लड़ सकते थे और जीतने पर प्रांतीय स्तर पर सरकार चला सकते थे। इसी दौरान मोहम्मद अली जिन्ना भी भारत लौट चुके थे और मुस्लिम लीग की कमान संभालने लगे थे। कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने 1937 का ये चुनाव लड़ा। हालांकि जो चुनावी नतीजे आए उससे ये साफ हो गया था कि मुस्लिम लीग भारत के मुसलमानों की नुमाइंदगी नहीं करती है। वहीं कांग्रेस ने 8 प्रांतों में सरकार बनाई।

लेकिन कांग्रेस की इस जीत ने देश के मुसलमानों का रुख मुस्लिम लीग की ओर कर दिया। वहीं कांग्रेस की जीत से ब्रिटिश सरकार भी घबराई हुई थी। यहीं से मुस्लिम लीग और ब्रिटिश सरकार ने हाथ मिला लिया और नतीजा देश को 1947 में बंटवारे के रूप में भुगतना पड़ा।

अब सवाल ये कि कांग्रेस से गलती कहां हुई? लेखिका प्रियम गांधी मोदी ‘वट इफ देयर वाज नो कांग्रेस’ में लिखती हैं कि 1939 में कांग्रेस ने अब तक की अपनी सबसे बड़ी भूल यह की कि कांग्रेस ने सभी प्रांतीय सरकारों से इस्तीफा दे दिया। यहां तक कि मोहम्मद अली जिन्ना ने भी इसे हिमालयन ब्लंडर करार दिया था। ब्रिटिश सरकार को इस फैसले से ये लगा कि कांग्रेस युद्ध में उनका बिल्कुल भी समर्थन नहीं करना चाहती है।

लेखिका ने वीपी मेनन के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस के प्रांतीय सरकारों से इस्तीफे से मुस्लिम लीग को वो बढ़त मिली जो शायद कभी न मिल पाती। 1939 के बाद से कांग्रेस ने जिस तरह की गलतियां कीं उससे देश का बंटवारा हुआ। 1939 से 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। अंग्रेज चाहते थे कि ऐसे समय पर भारत ब्रिटेन के साथ खड़ा रहे।

जहां महात्मा गांधी चाहते थे कि भारत ब्रिटिश सरकार का समर्थन करे। लेकिन सुभाष और नेहरू सरीखे नेता नहीं चाहते थे कि भारत ब्रिटेन का साथ दे। इस बीच मुस्लिम लीग और जिन्ना खुलकर ब्रिटेन को अपना समर्थन दे रहे थे। लीग ने अंग्रेज सरकार को इस बात के लिए राजी कर लिया था कि उसके दम पर और मुसलमानों के समर्थन से वह लड़ाई जीत सकती है। जिन्ना ने अंग्रेजों को ये साफ कर दिया कि वे कांग्रेस के साथ सहयोग नहीं करेंगे और एक अविभाजित भारत की बात तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि मुसलमानों के अधिकार सुरक्षित न हो जाएं।

1942 में क्रिप्स मिशन भारत आया तो उसके साथ ही बंटवारे की आहट भी सुनाई दी। क्योंकि इसने मुस्लिम लीग को विकल्प दिया कि वह भारत से अलग होना चुन सकती है। ये मिशन नाकाम रहा। उसी साल कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया। जिसके बाद कांग्रेस के नेता जेल में बंद कर दिए गए।

मुमकिन है कि कांग्रेस अगर सरकार में रहती तो वह देश को एकजुट रखने के लिए ज्यादा बेहतर काम कर सकती थी। कांग्रेस नेताओं के जेल में रहने का फायदा मुस्लिम लीग और अंग्रेज सरकार ने उठाया और देश विभाजित हुआ।

About ‘What if ther was no congress ‘

Writer – Priyam Gandhi Mody

Publisher- Rupa publications

Pages- 284

Price- ₹ 695 (hardcover)

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