World Radio Day: 13 फरवरी को हर साल विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day 2022) मनाया जाता है। 1945 में 13 फरवरी के दिन ही यूनाइटेड नेशंस में रेडियो से पहली बार प्रसारण हुआ था। अबतक दुनिया भर में सूचना के आदान-प्रदान और लोगों को शिक्षित करने में रेडियो की अहम भूमिका मानी जाती है। विश्व स्तर पर, रेडियो अभी भी सबसे अधिक खपत वाले माध्यमों में से एक माना जाता है। यह आज भी संचार और मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होने वाले लोकप्रिय माध्यमों में से एक है। रेडियो की इन अहमियतों को देखते हुए हर साल विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है।

वैसे तो समाचार, सूचना और मनोरंजन प्राप्त करने के लिए बहुत सारे तरीके हैं और यदि आप इसे केबल टेलीविजन या इंटरनेट से प्राप्त कर रहे हैं, तो आपको इसके लिए भुगतान करना पड़ता है। लेकिन रेडियो के साथ ऐसा नहीं है। आप इसे अपनी कार में, कैफे में या आप कहीं भी हो मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। दरअसल रेडियो ही एक ऐसा जनसंचार का माध्यम है, जिसके जरिए अभी तक असंख्य लोगों तक संदेशों को पहुंचाया जा रहा है। खासकर गांव, कस्बों और ऐसी जगहों पर रहने वाले लोग, जहां संचार का कोई और माध्यम पहुंचना आसान नहीं है। इन जगहों पर आज भी रेडियो कम्युनिकेशन का प्रमुख माध्यम बना हुआ है।
2022 World Radio Day की थीम क्या है?
इस बार विश्व रेडियो दिवस 2022 का विषय ‘Radio and Trust’ के रूप में चुना गया है। क्योंकि लोगों द्वारा रेडियो को सबसे भरोसेमंद समाचार स्रोतों में से एक माना जा रहा है। यानी विकास के साथ दुनिया भी विकसित हो रही है। यह रेडियो के लचीलेपन और स्थिरता को दर्शाता है।
विश्व रेडियो दिवस मनाने का कारण

स्पेन रेडियो अकैडमी ने 2010 में पहली बार रेडियो दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद 2011 में यूनेस्को की महासभा के 36वें सत्र में यह निर्णय लिया गया कि अब से हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रुप में मनाया जाएगा। पहली बार 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे अपनाया गया था। इसके बाद यूनेस्को ने पहली बार 13 फरवरी 2012 को विश्व रेडियो दिवस के रूप में इस दिन को मनाया। बता दें कि 13 फ़रवरी को ही संयुक्त राष्ट्र रेडियो की वर्षगांठ भी है। इसी दिन वर्ष 1946 में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई थी।
भारत में रेडियो का इतिहास
भारत में इस समय 214 सामुदायिक रेडियो प्रसारण केंद्र (Community radio) हैं। देश में रेडियो ब्रॉडकास्ट(रेडियो स्टेशन) की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और वर्ष 1936 में भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई थी। आजादी के बाद इसे आकाशवाणी यानि ऑल इंडिया रेडियो का नाम रखा गया। सुभाष चंद्र बोस(Subhas Chandra Bose) ने नवंबर 1941 में रेडियो पर जर्मनी से भारतवासियों को संबोधित किया था।
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