दुनियाभर में आज ही के दिन यानि 22 अप्रैल को अर्थ डे मनाया जा रहा है। पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव- जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने और दुनियाभर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ इसकी शुरुआत सन् 1970 में अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन ने की थी। उस दौर में फैक्ट्रियों से निकलने वाले हानिकारक रसायनों को आस-पास के वातावरण में छोड़ा जाना कानूनी था। नेल्सन ने इसके खिलाफ अभियान की शुरुआत की और इसे विश्वभर में पहचान मिली। आज दुनिया के 192 देशों में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। गूगल ने भी डूडल बनाकर अर्थ डे का संदेश दिया है।
1970 से लेकर 1990 तक यह पूरे विश्व में फैल गया और 1990 से इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। इस आंदोलन में संकल्प लिया गया कि पृथ्वी को नष्ट होने से बचाया जायेगा और कोई ऐसा काम नहीं किया जायेगा जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे। हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम प्लास्टिक से बनी वस्तुओं से घिरे हुए हैं। बैग, बॉटल से लेकर वाहन और इलेक्ट्रॉनिक सामानों तक सभी वस्तुओं के निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग होता है। इस दिवस का मकसद आम इंसान को यह समझाना है कि वो पॉलिथीन और कागज का इस्तेमाल ना करें, पौधे लगाएं क्योंकि धरा है तो जीवन है।
अर्थ डे एक ऐसा दिन है जब हम उस जगह के बारे में विचार करते हैं जहां पूरी मानव सभ्यता पले बढ़ें हैं। आपको बता दें कि विश्व पृथ्वी दिवस पहले पूरी दुनिया में साल में दो बार मनाया जाता था। एक बार 21 मार्च को और दूसरी बार 22 अप्रैल को लेकिन इन दोनों दिनों के महत्व में थोड़ा फर्क है। 21 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व पृथ्वी दिवस को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन मिला हुआ है। इस दिन का महत्व वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिहाज से अधिक है, जबकि 22 अप्रैल का दिन जन सरोकार से जुड़ा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर ट्वीट कर कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए लोगों को एक साथ काम करना होगा। यह हमारी मां धरा के लिए एक बड़ी श्रद्धांजलि होगी। प्रधानमंत्री ने उन सभी व्यक्तियों और संगठनों को बधाई दी जो प्रकृति के साथ सछ्वाव को बढ़ावा देने और सतत् विकास सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे थे।
On #EarthDay, let us reaffirm our commitment towards creating a better planet for our future generations. Let us work together to mitigate the menace of climate change. This would be a great tribute to our beloved Mother Earth.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 22, 2018
बता दें कि एचएसबीसी बैंक ने अपने एक सर्वे में कहा है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। यानी कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा खतरा भारत पर है। इसके बाद पाकिस्तान का नंबर आता है। बैंक ने इसके लिए उन 67 देशों पर सर्वे किया है जहाँ दुनिया की 80 फीसदी जनता रहती है। इस लिस्ट में भारत, पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश और फिलीपींस भी शामिल हैं। वहीं दूसरी तरफ दुनिया में सबसे ज्यादा बौद्धिक और विकसित होने का दावा करने वाले अमेरिका ने पेरिस के जलवायु परिवर्तन सुधार संबंधी समझौतों से खुद को अलग कर लिया है।
बता दें कि प्लास्टिक को बायोडिग्रेड नहीं किया जा सकता है। प्लास्टिक को डिस्पोज करने के बाद भी उसके तत्व 2 हज़ार से भी ज्यादा सालों तक वातावरण में रहते हैं। अर्थ डे नेटवर्क ने प्लास्टिक वेस्ट का मैनेजमेंट को वैश्विक संकट की संज्ञा दी है। साथ ही लोगों को प्लास्टिक का उपयोग कम कर पर्यावरण सुरक्षा का आह्वान किया है।
इस साल पृथ्वी दिवस का थीम “प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति” है। पृथ्वी दिवस नेटवर्क के मुताबिक, पृथ्वी दिवस 2018 मूल रूप से प्लास्टिक को लेकर मानवीय रवैया और व्यवहार को बदलने के लिए आवश्यक जानकारी और प्रेरणा प्रदान करने के लिए समर्पित है। इसका विचार लोगों को प्लास्टिक की खपत पर कटौती करने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि प्रत्येक व्यक्ति सालाना उपभोग करने वाली प्लास्टिक वस्तुओं की संख्या पर ध्यान दे और राशि को कम करने के लिए सचेत प्रयास करे।