रविवार को राज्यसभा में भारी हंगामे के बाद कृषि बिल 2020 दोनों सदनों से पास हो गया। संसद से लेकर सड़क तक कृषि कानून के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं। इसी हंगामे के बीच 8 सांसदों को राज्यसभा से पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
कृषि कानून 2020 क्या है, क्यों हो रहा है हंगामा और इस बिल को लेकर किसने क्या कहा हम आप को यहां बता रहे हैं।

क्या है कृषि कानून 2020 ?
- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020
इस के अनुसार किसान अपनी फसले अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं। यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है। यानी की एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं। फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, ऑनलाईन भी बेच सकते हैं। साथ ही अच्छा दाम मिलेगा।
- मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई जारही है कि किसानों की आय बढ़ेगी।
- आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।

विरोध के कारण
इस कानून के कारण किसानों में इस बात का डर बैठ गया है कि एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगी। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है। वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है। इस बात का डर किसानों को सता रहा है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा तो कोई मंडी नहीं आएगा।
साथ ही ये भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी। गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
किसने क्या कहा ?
मुद्दे को आग पकड़ता देख देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर के लिखा, एक बार फिर कहता हूं: MSP की व्यवस्था जारी रहेगी।
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल पूछते हुए ट्वीट किया, “अगर MSP के किसान हितैषी प्रावधानों में कोई परिवर्तन नहीं है तो भाजपा सरकार MSP के सरंक्षण को बिल में डालने से डर क्यों रही है?”
आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह ने भी इस कानून के खिलाफ आक्रोश जाहीर किया है उन्होंने लिखा, “ न्यूनतम समर्थन मूल्य ख़त्म नही होगा लेकिन जब पूछोगे क़ानून में क्यों नही लिखा? तो “गजनी मोड” में चले जाएँगे क़ानून में मोदी जी ने MSP ख़त्म कर दी है।”
एपीएमसी क्या है ?
सन् 1970 में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट ( एपीएमसी ऐक्ट) के अंतर्गत कृषि विपणन समितियां बनी थीं। एपीएमसी कहा जाता है। इन समितियों का मकसद बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों को बचाना था।