भारत में आज ट्विटर पर #WeCantBreathe टॉप ट्रेंड कर रहा है। इस ट्रेंड को देखने के बाद अमेरिका में चल रहे Black Lives Matter अभियान की याद आती है। जब George Floyd के गले पर पुलिस ने पैर रखा था, उस समय अमेरिका में ये काफी ट्रेंड हुआ था। आज भारत कह रहा है कि, #WeCantBreathe दरअसल भारत की जनता के गले पर कोरोना का पूरा शरीर है और इससे लड़ने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है। देश में ऑक्सीजन की इतनी भारी कमी है कि, लोग अस्पताल की सीढ़ियों पर दम तोड़ रहे हैं। खस्ता स्वास्थ्य व्यस्था और कोरोना को लेकर भारत सरकार की तैयारी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि, आप के पास कोरोना से लड़ने के लिए क्या नेशनल प्लान है ? इस मुद्दे पर अब 23 अप्रैल को दोबारा सुनाई होने वाली है।
बता दें कि, कोर्ट ने सरकार से चार मुद्दों पर नेशनल प्लान मांगा है जिसमे ऑक्सीजन की सप्लाई, जरूरी दवाओं की सप्लाई, वैक्सीनेशन का तरीका, लॉकडाउन लगाने का राज्यों का अधिकार। लॉकडाउन को लेकर कोर्ट ने सरकार से कहा कि, हम चाहते हैं कि, राज्यों में लॉकडाउन लगाने का अधिकार राज्य सरकार के पास रहे। ये ज्यूडिशियल फैसला नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि, हाईकोर्ट के लॉकडाउन वाले फैसले पर हम एक बार विचार करेंगे।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि इस वक्त कोरोना और ऑक्सीजन जैसे मुद्दों पर छह अलग-अलग हाईकोर्ट यानी दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, मध्यप्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है। बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस मुद्दे पर नेशनल प्लान बताएं। हाईकोर्ट्स को भी इस बारे में बताएं।’
महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नोटिस लिया है। कोर्ट की नागपुर बेंच ने सोमवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि राज्यों को यह इंजेक्शन किस आधार पर बांटा जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में देश के 40% कोरोना मरीज हैं तो उन्हें रेमडेसिविर भी उसी हिसाब से दिए जाने चाहिए। हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जिलों को मनमाने तरीके से रेमडेसिविर का बंटवारा किया जा रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने 13 अप्रैल और 18 अप्रैल को नागपुर में रेमडेसिविर की एक भी वायल (शीशी) क्यों नहीं भेजी? अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि सोमवार रात 8 बजे तक 10 हजार डोज नागपुर भेजी जाए। कोर्ट का आदेश पालन न होने पर 22 अप्रैल यानी आज एक बार फिर से हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लताड़ लगाई। हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनवाई के वक्त यह भी कहा कि वह इस ‘दुष्ट और बुरे’ समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि वह महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कुछ नहीं कर पा रहा है।