उफनती घाघरा की लहरों को देखकर लोगों का कलेजा फट रहा है। बाढ़ आती है तो इनके आशियाने उजाड़ जाती है। अबकी भी बारिश आई तो आफत साथ लेकर आई। लगातार कई दिनों की बारिश से बस्ती में घाघरा नदी का जलस्तर उफान पर है और नदी किनारे बसे गांवों के लोगों में दहशत है। नदी किनारे बसे गांव गोरिया नैन ,माझा खुर्द ,कलवारी, सीतारामपुर, चांदपुर, पिपरपाती, शहजौरा पाठक, कल्याणपुर ,बेलवा सहित दो दर्जन गांव इस बाढ़ की चपेट में हर साल आते हैं। बस्ती के जनप्रतिनिधि हर साल बचाव का दावा करते हैं, लेकिन घाघरा की तेज धार उनके दावों को नंगा कर देती है।
ग्रामीणों ने सीएम योगी से की बचाने की अपील
घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी के किनारे कटान शुरू हो गया है। जिससे लगभग 2 दर्जन से अधिक गांवों का अस्तित्व खतरे में है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद के बगल के बस्ती जिले में हर वर्ष बरसात में भारी तबाही होती है। ग्रामीणों ने सीएम योगी से अपने गांव को घाघरा नदी के तेज धार से बचाने की अपील की है। क्योंकि इलाके में न तो सही ढंग से बांधो की मरम्मत हुई है ना ही जो घाघरा नदी के पास जहां गांव बसे हैं वहां बांध ही बने हैं। घाघरा नदी के चपेट में लगभग दो लाख से अधिक जनसंख्या प्रभावित होती है। जब-जब बाढ़ आती है इनके आशियाना उजाड़ जाती है। वहीं ग्रामीणों का सुख-चैन छिन गया है।
शासन से आये महज 70 लाख, कैसे बनेगा बांध?
प्रभारी जिलाधिकारी अरविन्द पांडेय ने कहा की बांधों की मरम्मत का कार्य तेज कर गांवों को बचाया जाएगा। लेकिन ये कब होगा इसका जवाब इनके पास नहीं है। वहीं अभी तक मदद के नाम पर शासन से सिर्फ 70 लाख रुपए सिर्फ आया है। इतने कम पैसों में बांध की मरम्मत क्या और कैसे होगी ये सवाल अधिकारियों को भी निरूत्तर कर रहा है।
‘प्रशासन और खनन माफिया ने मोड़ी घाघरा की धारा‘
बस्ती और उसके आसपास के लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर का क्षेत्र घाघरा नदी से प्रभावित होता है। लगभग दो दर्जन गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इस तबाही में बालू माफियाओं का हाथ है, जिन्होंने खनन कर घाघरा नदी की धारा को आबादी को तबाह करने की तरफ मोड़ दिया। ऐसे में सरकार नहीं तो हजारों पीड़ित लोगों की सुध और कौन लेगा…?
एपीएन ब्यूरो