इस्लाम पर उंगली उठाने वाले और कुरान में 26 आयतों की खिलाफत करने वाले शिया सेट्रल वफ्क बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (Wasim Rizvi, Former Chairman of the Shia Central Waqf Board) ने इस्लाम छोड़ हिंदू धर्म अपना लिया है। रिजवी को डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंम्हानंद गिरी महाराज (Yeti Narasimhanand Giri Maharaj) ने 10 बजे सनातन धर्म ग्रहण करवाया। पूरे विधि विधान से रिजवी हिंदू धर्म में शामिल हो गए हैं। उन्होंने बताया था कि उन्हें इस्लाम से बाहर कर दिया है, जिसके बाद हिंदू धर्म अपना रहे हैं। जाहिर है अभी कुछ दिन पहले ही वसीम रिजवी ने वसीयत जारी कर कहा था कि उन्हें निधन के बाद दफनाया न जाए बल्कि हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी चिता को महंत यति नरसिंम्हानंद गिरी महाराज अग्नि दें।
मेरी हत्या की हो रही है साजिश– Wasim Rizvi
वसीम रिजवी ने वीडियो जारी कर कहा था कि मेरी हत्या और गला काटने की साजिश रची जा रही है। मेरा गुनाह महज इतना है कि मैंने सुप्रीम कोर्ट में कुरान की 26 आयतों को चुनौती दी थी। मुसलमान मुझे मारना चाहते हैं। धमकी दी है कि मरने के बाद मुझे किसी कब्रिस्तान मे जगह नहीं देंगे इसलिए मैं चहाता हूं कि हिंदू रीति रिवाज से मेरा अंतिम संस्कार किया जाए।
26 आयतें आतंकवाद को देती हैं बढ़ावा – Wasim Rizvi
बता दें कि, वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर अपील की थी कि कुरान से उन 26 आयतों को हटा दिया जाए जो कि आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। रिजवी ने इसे कुरान आतंकवाद का नाम दिया था। वसीम रिजीवी के इस जनहित याचिका के बाद शिया और सुन्नी समाज में उनके खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। जहां एक तरफ उन्हें मुस्लिम समाज से बेदखल करने का फतवा जारी किया गया है तो वहीं कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की है। वहीं मुस्लिम समाज रिजवी को समाज से बाहर निकालने की मांग कर रहा है।
इतना ही नहीं वसीम रिजवी की 26 आयतों पर मांग के बाद 19 मार्च को यानी की जुम्मे के दिन नवाज के बाद सभी लोग दिल्ली के जामा मस्जिद के बाहर इकट्ठा होकर रिजवी की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। इसके लिए पेटिशन भी साइन कराया गया है। वहीं मुस्लिम समाज के लोगों ने रिजवी को इस्लाम का दुश्मन भी बताया है।
यह भी पढ़ें:
वसीम रिजवी का दावा- शिया संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहा सुन्नी समुदाय