पश्चिम बंगाल में बांग्ला भाषा की अनिवार्यता और गोरखालैंड की अलग मांग को लेकर गोरख समुदाय द्वारा दार्जिलिंग में पथराव जारी हैं। राज्य में बढ़ती हिंसा से चिंतित गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बनर्जी सरकार को संभव मदद देने की बात कही। 13 जून यानि मंगलवार की शाम गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,’राज्य में शांति कायम करने के लिए केंद्र ने अपनी तरफ से 600 जवानों के अर्धसैनिक बल को दार्जिलिंग के लिए रवाना किया जिसमें 200 महिला जवान शामिल हैं। वहीं केंद्र ने तृणमूल कांग्रेस सरकार से पहाड़ी जिलों की रिपोर्ट तैयार कर तत्काल मांगा है।’

उधर, जीजेएम महासचिव रोशन गिरी ने कहा,’अहिंसा परमो धर्म:’ के मार्ग चल हम शांतिपूर्ण रूप से अपने मांग को सरकार के समक्ष रख रहे थे लेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस ने लोगों द्वारा बिना हिंसा फैलाए ही लाठीचार्ज कर दिया। हम बनर्जी सरकार से यह कहना चाहते हैं कि वह आम जनता के खिलाफ जितना शक्तिबल को प्रयोग करेंगी, हमारी मांगे गोरखालैंड के लिए उतनी सुदृढ़ होती चली जाएगी। वहीं जीजेएम के प्रमुख बिमल गुरुंग ने कहा, वह लगातार केंद्रिय मंत्रियों के संपर्क में हैं उन्हे भारत सरकार पर भरोसा है कि सरकार उनकी मांगों को ध्यान में रख एक अलग राज्य गोरखालैंड के लिए विचार करेगी। उन्होंने सीएम ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा,’मुख्यमंत्री ममता जी हमारे आंतरिक मामले से दूर रहे, उन्हें दार्जिलिंग में सेना नियुक्त करने की कोई जरुरत नहीं है, दार्जिलिंग निवासी अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकते हैं।’

दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया से अवगत होकर कहा,’गोरखालैंड के समर्थक अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकारी दफ्तरों को जबरन बंद कराते हुए दिखाई दिए गए। इस दौरान उन्होंने पुलिस टीम पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिन्हें खदेड़ने के लिए पुलिस टीम को शक्तिबल का प्रयोग करना पड़ा।’ फिलहाल पुलिस प्रशासन ने तमाम सरकारी कार्यालयों के सामने बैरिकेड लगा दिया हैं। वहीं इलाके में फंसे पर्यटकों से भारी बस को मैदानी इलाकों में सुरक्षित पहुंचाया जा रहा हैं।

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