
Diwali पर बाजारों में काफी रौनक है, लोकल उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जहां लोकल उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर हुई है, वहीं खरीदार भी लोकल उत्पादों से दीपावली को रौशन करना चाहते हैं। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि हमारी कोशिश है कि लोग लोकल उत्पादों को खरीदें, देश भर के दुकानदार दीपावली पर देशी उत्पाद अपने दुकानों पर बेंच रहे हैं और खरीदारों को भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
बता दें कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) चीन से पूरी दुनिया में फैलने के बाद चीन के उत्पादों का विरोध हुआ था, लेकिन बाजार में दीवाली के मौके पर चीनी उत्पाद भी बिक रहे हैं, ये खरीदारों पर निर्भर करता है कि वे चीन का सामान खरीदें या नहीं। कारोना महामारी के दौरान पीएम मोदी ने भी लोकल फोर वोकल का वढ़ावा देने और आत्मनिर्भर बनने के लिए कहा था।

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया का कहना है कि इस बार न तो चीनी झालर घरों को चमकाएंगे और न ही चीनी दिए से रौशन होगा हमारा आंगन। इस साल ना ही चीनी रंगोली हमारे दरवाजे सजेगी और न ही चीनी वंदनवार घरों की शोभा बढ़ाएंगे, इस साल दीपावली त्योहार की सारी परंपरागत रस्में गुलजार होंगी, भारतीय सामानों से। देश का हर घर देसी उत्पादों से ही रौशन होंगे।
इस बार सबकुछ होगा देसी
कैट ने देश भर में भारतीय सामान की आसान उपलब्धता को लेकर व्यापक तैयारियां पूरी कर ली है और अब ये त्योहार से जुड़े समान वर्चुअल प्रदर्शनी, बाजारों में बने खास स्टाल्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के द्वारा देश के प्रत्येक शहर में व्यापारिक संगठनों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। कैट पिछले साल भी देश भर के व्यापारिक संगठनों को अपने अपने क्षेत्र के कुम्हार, शिल्पकार, कारीगर, मूर्तिकार, और कलाकारों को चिन्हित कर, उनसे बढ़ी संख्या में दीवाली से जुड़े सामानों की बाजार के डिमांड के हिसाब से निर्माण कार्य कराने को कहा था। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि दीवाली से जुड़े सभी सामान जैसे दिये, मोमबत्ती, बिजली की लड़ियां, बिजली के रंग बिरंगे बल्ब, वंदनवार, घरों को सजाने के दूसरे सामान, रंगोली, शुभ लाभ के चिन्ह, पूजन सामग्री सब कुछ इस बार भारतीय होगा, जिसे हमारे कारीगर बना रहे हैं।

वंदनवार होंगे दीपावली के खास आकर्षण
घरों के दरवाजों पर सजने वाले वंदनवार इस साल की दीवाली का मुख्य आकर्षण होंगे। पहले चीन में सस्ते सामग्रियों से बने वंदनवार भारत तो पहुंचते तो थे, पर उनमें ना ताजगी होती थी ना ही देसीपन। पर इस साल ये देसी वंदनवार हर रेंज और डिजाइन में उपलब्ध हैं। ज्यादातर महिला कारीगरों के हाथों से बने ये वंदनवार 100 रुपये से शुरू हो कर 2000 रुपये तक बिक रहे है और इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इनमे न सिर्फ गोटा, मोती आदि के काम किये गए हैं बल्कि इसमें शुभ लाभ, लक्ष्मी गणेश, कलश आदि बने हुए है।भारतीय दीवाली पर ये देसी वंदनवार घरो की शोभा दोगुनी करने के साथ साथ किसी गरीब कारीगर के घर को भी रौशन करने का काम करेंगे।

डिजाइनर देसी दिये
दियो के बगैर दीवाली अधूरी रहती है। देवी लक्ष्मी के शुभ आगमन को प्रकाशित करने और घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाने के लिए दीवाली पर दियो को खास तौर पर सजाया जाता है। और इस साल देसी कुम्हारों ने महिला कारीगरों के साथ मिल कर दियो की सुंदरता में चार चांद लगा दिए है। मिट्टी से बने पारंपारिक दियो की रेंज इस साल कुछ खास है, साथ ही अलग अलग धातुओं से बने डिज़ाइनर टी लाइट्स की एक बड़ी और आकर्षक रेंज बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। लंबे समय से इसी व्यवसाय से जुड़ी श्रद्धा नेगी का मानना है कि देसी दिए और टी लाइट्स चीन से काफी अलग होंगे, क्यों कि इनसे देशभक्ति की भावना झलकती है और इनसे देसी मिट्टी की खुशबू आती है। देसी कारीगरों के हुनर और मेहनत से ये और भी खूबसूरत हो जाते है। और सबसे ज्यादा जरूरी देश की उन्नति है, जो कि घरेलू उत्पादनों की खपत पर निर्भर है।
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